#BengalElection: कांग्रेस-लेफ्ट के वोट से बंगाल में ममता?

#Mamata: पांच राज्यों में हुए सबसे ज्य़ादा चर्चित पश्चिम बंगाल चुनावों में ममता बनर्जी ने एख बार फिर धमाकेदार वापसी की है। बीजेपी के पूरी ताकत लगा देने के बावजूद वो ममता को वापसी करने से नहीं रोक पाएं हैं। हालांकि बीजेपी भी तीन विधासभा सीटों से बढ़कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है। इस चुनावों में सबसे बुरी गत कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों की हुई है। जोकि दहाई के आंकड़े तक भी शायद ही पहुंच पाएं। अभी तक रूझान के मुताबिक टीएमसी 202 सीटों पर आगे रही है। जबकि बीजेपी को 84 सीटे मिलती दिख रही है। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों को दो सीटे मिलने का अनुमान है।

सुबह आठ बजे जब वोटों की गिनती शुरू हुई थी। तब बीजेपी और टीएमसी करीब एक घंटे तक लगभग बराबर चली थी। लेकिन इसके बाद जैसे जैसे काउंटिंग आगे बढ़ी, वैसे वैसे टीएमसी का ग्राफ ऊंचा होता चला गया। पूरे राज्य में ममता को झोलीभर कर वोट मिले हैं। हालांकि समाचार लिखे जाने तक खुद ममता नंदीग्राम से पीछे चल रही है। वो कुल चार हजार वोटों से पिछड़ रही हैं। उधर बीजेपी के कई बड़े धुरंधर भी इन चुनावों में हारते दिख रहे हैं। हालांकि बीजेपी तीन सीटों से बढ़कर राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने जा रही है। राज्य में 34  साल तक राज करने वाली लेफ्ट पार्टियों की स्थिति बहुत ही दायनीय रही है। हालांकि लेफ्ट के नेता इसी बात से खुश हैं कि बीजेपी सत्ता में नहीं आ रही है। इससे साफ है कि लेफ्ट और कांग्रेस ने अंतिम समय में अपना पूरा वोट ममता बनर्जी को डलवा दिया। इससे ममता जीतती दिख रही है। पिछली बार कांग्रेस और लेफ्ट को मिलाकर 70 सीटें मिली थी। जबकि इस बार इन्हें दो से ज्य़ादा सीटें नहीं मिलती दिख रही हैं। ऐसे में साफ है कि इनका पूरा वोट ममता बनर्जी को मिला है।

दरअसल ममता बनर्जी को अल्पसंख्यकों का वोट तो मिला ही साथ ही उसे कांग्रेस और लेफ्ट का भी साथ मिला है। नरेंद्र मोदी के खिलाफ राजनैतिक पार्टियों में एकजुटता के चलते अंतिम वक्त में अन्य पार्टियों ने अपने कॉडर का पूरा वोट ट्रांसफर कर दिया है। हालांकि इसके बावजूद भी बीजेपी को अच्छा खासा वोट पड़ा है। उसे लगभग 38 परसेंट के आसपास वोटिंग हुई है। जोकि बहुत ही अच्छी है। अगर कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां अपना वोट ट्रांसफर नहीं करती तो बीजेपी की सरकार बनना तय था।

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