#SubodhJaiswal: CISF के महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल के पीछे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के नए चीफ बनने के पीछे ना सिर्फ उनकी वरिष्ठता है। बल्कि जासूसी में भी उनकी महारथ ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। बेशक राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) और एनआईए चीफ (NIA Chief) मोदी को पहले इस पद के लिए सबसे आगे बताया जा रहा था। लेकिन गृह मंत्रालय (Home Ministry) में अपनी सेवाएं दे चुके सुबोध जायसवाल की जासूसी का लोहा सरकार में सभी मानते हैं। इसलिए वो सरकार की पसंद पहले से ही थे। हालांकि अंतिम समय तक सुबोध कुमार जायसवाल के बारे में सरकार की ओर से कहीं ये नहीं लगा कि वो उनकी पहली पसंद है। इसलिए बिना की ज्य़ादा परेशानी के विपक्ष भी उनके नाम पर सहमत हो गया।
तेलगी कांड (Telgi) में उनकी भूमिका के बाद पहली बार उनका नाम सामने आया था। लेकिन अपने रिसोर्सेज के दम पर वो भारत के जेम्स बांड की तरह काम करते हैं। वो एक दशक तक जासूसी नेटवर्क पर ही काम कर रहे थे। RAW (Research and Analysis Wing) में उनका बनाया हुआ नेटवर्क ही था कि उन्हें सरकार ने लंबे समय तक गृह मंत्रालय में भी बिठाकर रखा।
सूत्र बताते हैं कि 9 सालों तक RAW के अलावा वो SPG के खूफिया विभाग को भी हेड करते थे। लिहाजा जासूसी में भारत के जेम्स बांड कहे जाते हैं। उनका नेटवर्क इतना मज़बूत है कि उनको देश के किसी भी कोने की ख़बर पलक झपकते ही मिल जाती है। इसलिए ही सरकार ने उन्हें सीबीआई जैसे सबसे अहम एजेंसी का प्रमुख बनाया है। महाराष्ट्र कैडर के जायसवाल ना सिर्फ काबिलियत में बल्कि अपनी ईमानदारी में सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। केंद्र सरकार की ओर से उन्हें सीबीआइ निदेशक बनाए जाने की अधिसूचना मंगलवार रात जारी कर दी गई। सीबीआई निदेशक का कार्यकाल दो साल के लिए तय है। बीते फरवरी महीने में आरके शुक्ला के रिटायर होने के बाद देश की शीर्ष जांच एजेंसी के प्रमुख का पद खाली था। पिछले चार महीने से सीबीआइ के अपर निदेशक प्रवीण सिन्हा अस्थायी तौर पर जांच एजेंसी के निदेशक के तौर पर काम देख रहे थे। 22 सितंबर 1962 को जन्मे जायसवाल 1985 बैच के IPS हैं। महाराष्ट्र कैडर में होने के कारण वे मुंबई के पुलिस कमिश्नर और महाराष्ट्र के DGP भी रहे चुके हैं।