#ChildTrafficing: क्या बंगाल और दिल्ली बच्चों की तस्करी को बढ़ावा देना चाहते हैं?

#CoronaUpdate: कोरोना से जिन बच्चों के माता पिता की मृत्यु हो गई है। ऐसे बच्चों को अनाथालय या तस्करी की साजिश शुरू हो गई है। बच्चों की तस्करी के मामले में पश्चिम बंगाल देश का सबसे बदनाम राज्य है। लेकिन ममता बनर्जी सरकार अपने यहां कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों का कोई सर्वे नहीं कर रही है। इससे बंगाल में एक बार फिर बच्चों की तस्करी बढ़ने का ख़तरा बढ़ गया है। बंगाल के साथ साथ दिल्ली सरकार ने भी अभी तक बच्चों का सर्वे शुरू नहीं किया है। ऐसे में अब इन दोनों राज्यों पर बच्चों की तस्करी को बढ़ावा देने का आरोप लग रहा है।  

दरअसल पश्चिमी बंगाल के दार्जलिंग, सिलिगुड़ी और मालदा से बच्चों की तस्करी देश में सबसे ज्यादा होती है। ख़ासकर दार्जलिंग की लड़कियों की मांग पूरे भारत में है। कोरोना के कारण इन क्षेत्रों में गरीबी भी काफी बढ़ी है। इससे इन इलाकों से बच्चों की तस्करी तेज़ी से बढ़ सकती है।

बच्चों को वापस उनके घरों में पहुंचाने के काम में सालों से लगे हुए संजय मिश्रा ने www.theekhabar.com को बताया कि पश्चिम बंगाल के इन इलाकों में राजनैतिक पैठ वाले लोग इस तस्करी के कारोबार से जुड़े हुए हैं। जोकि गरीब बच्चों को काम के नाम पर दिल्ली, मुंबई और बैंगलौर जैसे बड़े शहरों में बेच देते हैं। इन इलाकों की लड़कियों को देह व्यापार के कारोबार में भी बड़ी संख्या में बेचा जाता है। मैंने खुद ऐसी कई लड़कियों को वापस उनके परिवारों में पहुंचाया है। मिश्रा के मुताबिक अगर राज्य सरकार ऐसे बच्चों का सर्वे सही से कराती है तो इनको राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं से जोड़कर इन बच्चों को तस्करी से बचाया जा सकता है।

संजय मिश्रा

इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी बच्चों की शिक्षा पर तो बात करते हैं, लेकिन जब कोरोना के समय बच्चों के अनाथ होने की जानकारी मांगी गई तो दिल्ली सरकार भी बच्चों को लेकर गंभीर नहीं दिखी है। वो भी जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये जानकारी एक सेंट्रल पोर्टल पर इक्कठा की जा रही है।

इस बारे में NCPCR के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने www.theekhabar.com को बताया कि पूरे देश से सभी राज्यों से हमें डेटा मिल रहा है। लेकिन जो राज्य में बच्चों की तस्करी में सबसे प्रमुख राज्यों में से एक है, वहां से अभी तक हमें अनाथ बच्चों का कोई डेटा नहीं मिला है। ना ही दिल्ली ने अभी तक बच्चों के इस जरूरी काम के लिए कोई गंभीरता दिखाई है। अभी तक हमें जो राज्यों से जानकारी मिली है। उसके मुताबिक 3 हज़ार ऐसे बच्चे ऐसे हैं जोकि कोरोना में अनाथ हुए हैं। जबकि 26 हजार बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने माता पिता में से किसी एक परेंट को खो दिया है। अगर हमें पश्चिम बंगाल और दिल्ली राज्य बच्चों के इस काम के लिए थोड़ी मेहनत कर लें तो हम इन बच्चों के लिए बेहतर पढ़ाई से लेकर खाने पीने की व्यवस्था करा पाएंगे। मेरा दोनों राज्यों में नेताओं और अधिकारियों से निवेदन है कि वो ये सर्वे तुरंत शुरू कराएं।

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