#Vaccination: क्या 18-44 साल के लोगों को वैक्सीनेशन बंद करना चाहिए?

#CoronaUpdates: देश की कई राजनैतिक पार्टियों के वैक्सीनेशन को लेकर अनाप शनाप बयानों के बीच पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि देश में 18-44 साल के लोगों को वैक्सीन लगाने की समीक्षा करें। हालांकि दुनिया के सभी विकसित देश जनसमूह को ही वैक्सीन लगा रहे हैं।

ये समूह वैक्सीन के अंधाधुंध इस्तेमाल के खिलाफ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं, उन्हें भी वैक्सीन की जरूरत नहीं है। बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की बजाए समूहों को टीका लगाया जाए। इस समूह के मुताबिक अगर बड़े पैमाने पर, अंधाधुंध और आधा अधूरा वैक्सीनेशन किया जाएगा तो वायरस अपना रूप बदल सकता है।

इंडियन पब्लिक हेल्थ असोसिएशन, इंडियन असोसिएशन ऑफ एपिडमोलॉजिस्ट्स और इंडियन असोसिएशन ऑफ प्रीवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन के विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है। इस समूह में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टर और  कोरोना के राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य भी शामिल हैं। इस समूह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बड़े पैमाने पर लोगों का वैक्सीनेशन करने की बजाए उन लोगों के वैक्सीनेशन पर ज़ोर देना चाहिए जोकि संवेदनशील और जोखिम वाली श्रेणी में हैं।

इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन जगहों पर डेल्टा वैरिएंट से तेजी से कोरोना बढ़ रहे हैं वहां कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच के अंतर को कम करना चाहिए। अभी कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच कम से कम 12 हफ्ते का अंतर रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम उम्र के वयस्कों और बच्चों के वैक्सीनेशन पर अभी ज्य़ादा डेटा नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अंधाधुंध वैक्सीनेशन से कोरोना वायरस के म्यूटेंट वेरिएंट्स को बढ़ावा मिल सकता है। इसमें कहा गया है कि जो लोग कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, उनके वैक्सीनेशन की अभी कोई जरूरत नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश का फोकस मौतों को कम करने पर होना चाहिए जो उम्रदराज समूह, को-मॉर्बिडिटीज और ओबेसिटी वाले लोगों में ज्यादा है। एक्सपर्ट्स ने रिपोर्ट में कहा है कि वैक्सीनेशन के मौजूदा चरण में रिस्क ग्रुप को कवर करना चाहिए न कि बड़े पैमाने पर पूरे जनसमूह को टीका लगाना।

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