Protest for loss : प्रदर्शनकारियों की वजह से एक इलाका उजड़ने के कगार पर

Industrial loss due to Farmers Protest : किसान आंदोलन के बार्डर पर बैठने की वजह से बहादुरगढ के उद्योग की कमर टूट गई है। लगातार सड़कें बंद होने के कारण अब ये पूरा इलाका ही उजड़ने को है। प्रदर्शनकारियों की वजह से पिछले आठ महीनों में इंडस्ट्री को करीबन 20 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। बढ़ते नुकसान और फैक्ट्रियां बन्द होने से डरे उद्यमियों ने अब प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र के जरिये प्रधानमंत्री से दिल्ली बॉर्डर पर बन्द सड़कें खुलवाने की मांग की गई है। किसान आंदोलन के चलते बहादुरगढ दिल्ली सीमा पर एक तरफ़ किसानों की स्टेज लगी है तो दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस की बैरिकेडिंग है। किसानों की स्टेज तक जाने का रास्ता तो खुला है, लेकिन उससे आगे दिल्ली पुलिस ने पक्की दीवार और कंटीले तार जमीन में गाड़ रखे हैं। लिहाजा पिछले करीबन साढ़े 7 माह से टिकरी बॉर्डर बन्द है। दिल्ली के व्यापारी बहादुरगढ व्यापार के लिए नही आ पा रहे हैं। ट्रांसपोर्ट खर्चा डबल ट्रिपल हो गया है। जिसके कारण उद्यमी परेशान है। बहादुरगढ  के उद्यमियों के कहना है कि उन्हें दिक्कत दिल्ली के बन्द रास्तों से हो रही है। और उन्ही रास्तो को खुलवाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।

बहादुरगढ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सीनियर वाईस प्रेजिडेंट नरेंद्र छिकारा ने बताया कि बहादुरगढ में बड़ी छोटी और मध्यम इंडस्ट्री मिलाकर करीबन 9 हजार फैक्ट्री है। जिनमे साढ़े सात लाख के करीब लोगों को रोजगार मिला हुआ है। अब चूंकि दिल्ली की सड़क बन्द है तो दिल्ली से आने वाले कर्मचारी भी अब नही आ पा रहे हैं। जो व्यापारी सीधा फैक्ट्री आकर माल खरीदता था वो भी नही आ रहा। प्रोडक्शन कॉस्ट और माल ढुलाई लागत बढ़ गई है। अब तो उनकी प्रधानमंत्री से इतनी सी अपील है कि समाधान निकाला जाए । बन्द सड़कें तो खुलवा ही दो। ताकि कोरोना और आंदोलन के कारण बन्द सड़कों से हुए नुकसान की भरपाई उद्यमी अपनी मेहनत स पूरी कर सके।

बहादुरगढ देश का नही एशिया का सबसे बड़ा जूता मैन्युफैक्चरिंग हब है। यंहा से  विदेश में हजारों करोड़ का एक्सपोर्ट भी होता है। कोरोना की मार से जो राहत पैकेज केंद्र ने जारी किया था यंहा का उद्यमी उसे राहत की बजाय लोन पैकेज कहता है। उद्यमी का कहना है कि फैक्ट्री का उत्पादन ठप्प और ब्याज का मीटर धड़ाधड़ चल रहा है ।ऐसे में उम्मीद अब प्रधानमंत्री से है ताकि ठप्प पड़ा काम एक बार फिर से पटरी पर लोटे और पिछले नुकसान की भरपाई वो कर सकें।

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