उत्तराखंड में एडमिनिस्ट्रेशन में थोड़ी सा फेरबदल उत्तराखंड के अधिकारियों को परेशान कर देता है। हालात ये है कि ज्यादातर अधिकारी देहरादून के आसपास ही रहना चाहते हैं। दूर दराज के इलाकों में काम करने को कोई राजी नहीं है।लिहाजा जैसे ही देहरादून या हरिद्वार से किसी को कहीं भी भेजा जाता है तो राज्य में हडकंप मच जाता है। हालांकि इस बार IAS दीपक रावत को दोबारा हरिद्वार मेलाधिकारी की पोस्टिंग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। दरअसल दीपक रावत के मेलाधिकारी, हरिद्वार से हटाये जाने से लेकर पुनः मेलाधिकारी बनाया गया है। दीपक रावत को मेलाधिकारी, हरिद्वार से उत्तराखंड ऊर्जा निगम के एमडी के पद पर ट्रांस्फर किया गया। एक हफ्ते तक उन्होंने ज्वाइन ही नहीं किया था। जब ज्वाइन किया, तो उसी दिन से चर्चा हो गई थी कि जल्दी ही दीपक रावत को उनकी मनमाफिक पोस्टिंग मिल जाएगी। बाद में उन्होंने एमडी पद पर ज्वाइन किया। हफ्ता पूरा होने से पहले ही दीपक रावत को उनकी पुरानी जगह भेज दिया गया।
राज्य में दीपक रावत छापामारी के लिए मशहूर हैं, उनके बेहतरीन तरीके से एडिटेड वीडियो यूट्यूब पर अपलोड होते रहते हैं। वीडियो क्वालिटी और एडिटिंग देख कर लगता है कि छापामारी करने से पहले उसका “शूट” प्लान किया जाता है। ताकि उनकी छवि निखारी जा सके। हालांकि फरवरी 2019 में दीपक रावत, हरिद्वार जिले के जिलाधिकारी थे, जब वहां कच्ची शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई थी। सत्ताधारी भाजपा के ही विधायक देशराज कर्णवाल ने कहा था कि हरिद्वार जिले में शराब माफिया का दबदबा है। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में “छापामार” अफसर, जिलाधिकारी होने के बावजूद न जाने दीपक रावत सामने नहीं आए। कुंभ के दौरान दीपक रावत कुंभ के मेलाधिकारी थे। उसी दौरान फर्जी कोविड टेस्टिंग का प्रकरण राष्ट्रीय सुर्खियां बना। फर्जी लैब्स को ठेका मिला, फर्जी टेस्टिंग करके भारी भ्रष्टाचार हुआ।
हालांकि पिछले कई सालों से अधिकारियों की पैठ जो राज्य सरकार में हैं,उसे देखते हुए किसी भी मुख्यमंत्री के लिए राज्य में रिजल्ट लाना मुश्किल है। लिहाजा हलिया ट्रांसफर से भी राज्य के अधिकारियों में भारी बैचेनी है।
2021-08-02