एक समय देश के पीआईएल के सबसे बड़े वकील माने जाने वाले प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने कंटेमप्ट का दोषी ठहरा दिया है। जस्टिस अरूण मिश्रा की बैंच ने प्रशांत भूषण को कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस.ए. बोबडे के खिलाफ ट्विट का दोषी पाया है। प्रशांत भूषण ने 27 जून को सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ एक ट्विट किया था। जबकि 29 जून को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ ट्विट किया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 22 जुलाई को नोटिस सर्व किया था। अब उनकी सज़ा का फैसला 20 अगस्त को होगा।
इसके बाद 5 अगस्त को मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। भूषण ने अपने बचाव में कहा था कि ये ट्विट्स उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज के खिलाफ थे ना कि सुप्रीम कोर्ट संस्था के खिलाफ। उन्होंने कहा था कि चीफ जस्टिस की आलोचना करना सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम नहीं करता। काफी महंगी बाइक पर सवार चीफ जस्टिस के बारे में ट्विट करना, सुप्रीम कोर्ट में सामान्य सुनवाई नहीं होने को लेकर उनकी पीडा को दिखाता है। हालांकि प्रशांत भूषण इससे पहले भी कोर्ट के बारे में कई आलोचनात्मक ट्विट्स कर चुके हैं। लेकिन इस बार कोर्ट ने इस बारे में खुद संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी।
देश के पूर्व कानून मंत्री रहे वकील शांति भूषण के पुत्र शांति भूषण के निशाने पर अक्सर जज रहे हैं। अक्सर आंदोलनों का हिस्सा रहे प्रशांत भूषण अन्ना आंदोलन के भी हिस्से रहे थे। बाद में उन्होंने केरजरीवाल के साथ मिलकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की नींव भी रखी।
2020-08-14