आखिर कौन बनेगा इस इस अनाथ बच्ची को सहारा
प्राणाी जगत में मनुष्य जीवन को सबसे सर्वश्रेष्ट जीवन कहा गया है कि मनुष्य में ही देवी देबताओं का वास आज भी है वहीं इस पृथ्वी के तीनों लेाकेां का अबलोकन आज भी करता है ये भी सच है कि उससे इस मनुष्य जीवन में अपने कर्माे के फलों को भुगतना और उनका निबृहन करने का अहसास भी हो जाता है। मनुष्य के कर्माे का फल भी उस पीड़ी में जन्मे परिवार के लेागो को जीवन भर भुगतना पड़ता है। लेकिन कोई ये भी कहता है कि क्या इसी असहाय खुशी को ये सब देखना और करना होगा जिसके सिर से अपने माता पिता का साया इस अल्प आयु में ही उड़ गया जिससे ये भी नहीं पता कि जीवन क्या है
खुशी की खुशियां
अब कौन बनेगा सहारा हर बच्चे का सपना होता है कि मां बाप का साया उस पर हमेशा बना रहेण् लेकिन सभी का ये सपना सच हो ये भी जरुरी नही है। जी हां हम बात कर रहे है उत्तराखंड की कपाणीया गांव की एक बेटी कीण् जिसका नाम खुशी है लेकिन खुशी नाम की इस बेटी के जीवन में खुशी मानों रुठ सी गयी हो, शायद भगवान को यही मजूर था, खुशी के सर से मां बाप का साया उस के सर से उजड़ गया।
खुशी का माता पिता की गंभीर बीमारी के चलते देहांत हो गया है। जहां दो साल पहले खुशी से मां की ममता छीन गयी तो वही 20 दिन पहले पिता का साया भी नही रहा। अब खुशी बेसहारा हो गयी है। बस अब उन्हे ताक रही है कि कौन उसका अपना हो सकता है, और अब सवाल यह है कि उसका लालन पालन कौन करेगा। यह दुखरूद घटना जखोली, ग्राम पंचायत कपणिंया मे अनुसूचित जाति के परिवार मे जन्मी 9 साल की कुमारी खुशी जो कि अपने पिताजी जी के साथ हँसी खुशी के साथ खेलती थी । लेकिन इस नन्ही सी फूल जैसे बच्ची को क्या पता था कि एक दिन उसके पिता का साया उसके सर से छिन जायेगा। आपक़ो अवगत करा दे कि कपणिंया गाँव का रहने वाला स्व० रमेश दास जो कि महज 52 साल का थे, आज से लगभग 20 दिन पूर्व किसी बीमारी के चलते देहांत हो गया थाए जिस कारण से रमेश लाल की मृत्यु हो जाने से उसकी बेटी कुमारी खुशी अनाथ हो गयी है कुमारी खुशी की माँ का भी दो साल पहले देहांत हो चुका है। इतनी सी उम्र में माता.पिता का गुजर जाना अब इस अनाथ बच्ची के लिए लिए चट्टान जैसे बन गया हैए भले ही इसकी एक और एक बहन भी है लेकिन उसका कुछ साल पूर्व विवाह हो गया है और वह अपने ही ससुराल मे रहती हैए अब इस अनाथ बच्ची के सामने उसके भरण.पोषण का सवाल पैदा हो गया। आखिर 9 साल की बच्ची अब किसके सहारे जीयेगी, वही कपणिंया के प्रधान महावीर सिह पवांर का कहना है कि फिलहाल तो यह अनाथ बच्ची गाँव मे ही अपने रिशेतदारों के साथ गुजारा कर रही है। लेकिन अब रोटी कपड़ा सहित आर्थिक स्थिति भी पैदा हो गयी है आखिर अब इसके भरण पोषण का जिम्मा कौन उठायेगा। क्या ऐसी विकट परिस्थितियों मे शासन प्रशासन या कोई समाजिक संगठन इस अनाथ, बेसहारा बच्ची की मदद करने के लिए आगे आयेगा या खुशी यू ही दर.दर भटकती रहेंगी।