Geelani death: कश्मीर को भारत से अलग करने और कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करने वाले पूर्व हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) की बुधवार को मौत हो गई। 91 साल के जिलानी ने घाटी से हिंदुओं ख़ासकर कश्मीरी पंडितों की त्रादसी में एक बड़ी भूमिका निभाई थी। गिलानी को आतंकवाद के सॉफ्ट चेहरे की तरह पेश किया जाता था। उनकी मौत के बाद प्रशासन ने एहतियातन घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। कश्मीर में आतंकवाद के गढ़ रहे सोपोर के बोम्मई के रहने वाले गिलानी पिछले कई सालों से श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र हैदरपोरा में बस गए थे। ये इलाका भी आतंकवादियों के पनाह का इलाका रहा है।
गिलानी की मौत का पाकिस्तान को काफी दुख हुआ है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘पाकिस्तान में एक दिन का शोक रहेगा और झंडे को आधा झुका दिया जाएगा।’
उनका सबसे बड़ा दामाद अल्ताफ शाह टेरर फंडिंग में तिहाड़ जेल में बंद है। घाटी के युवाओं को भड़काने में गिलानी ने हमेशा से ही बड़ी भूमिका निभाई थी। पहले वो विधायक रहे थे। लेकिन बाद में पाकिस्तान के इशारों के हिसाब से घाटी में युवाओं को बंदुक के रास्ते भेजते थे।
भारत में रहते हुए गिलानी कट्टर भारत विरोधी थे। उन्होंने 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमलों का समर्थन भी किया था और आतंकियों को शहीद बताया था। इतना ही नहीं वर्ष 2008 में मुंबई आतंकी हमले में सैकड़ों लोग मारे गए थे। उसपर भी गिलानी का यही रुख सामने आया था। घाटी में आतंक का सबसे बड़ा सरगना लश्कर ए तैयबा का चीफ हाफिज सईद गिलानी के लिए हीरो रहा था। ओसामा बिन लादेन का समर्थक गिलानी लादेन के मारे जाने से इतना दुखी हुआ था कि उसने इसके लिए ना सिर्फ अमेरिका की आलोचना की थी, बल्कि बल्कि उसके लिए अपने समर्थकों के साथ मिलकर दुआ भी की थी।