Punjab Politics: इंडिपेंडेंट राजनीति करेंगे अमरिंदर?

Punjab Politics: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीजेपी में शामिल होने और उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में जगह देने की बजाए अब बीजेपी और कैप्टन एक दूसरे साथ चलने को तैयार हो गए हैं। माना जा रहा है कि कैप्टन बीजेपी में तो शामिल नहीं होंगे। लेकिन अपना एक अलग दल बनाकर पंजाब की राजनीति करेंगे और बीजेपी के साथ समांजस्य बना रहेगा।
बीजेपी में माना जा रहा है कि अगर सीधे कैप्टन को पार्टी में शामिल कर उन्हें किसी ओहदे पर बिठाया जाता है तो ना तो इससे चुनाव वाले राज्य में बीजेपी को कुछ ख़ास फायदा नहीं मिलेगा, उल्टे कैप्टन के समर्थक नाराज हो सकते हैं। ऐसे में वो अगर अपनी अलग राजनैति चलाएं, लेकिन बीजेपी के साथ कॉर्डिनेशन के साथ चलाएं तो बेहतर होगा। लिहाजा 29 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह से 45 मिनट चली बातचीत के बाद वो बीजेपी में शामिल नहीं हुए। बल्कि मुलाकात के बाद जिस तरह से वो कांग्रेस पर हमलावर हुए हैं, उससे साफ है कि वो अपनी अलग राजनीति चलाएंगे। उनके एजेंडे में सबसे बड़े मुद्दे पंजाब कांग्रेस और किसान आंदोलन रहेंगे।
कैप्टन जब चंडीगढ़ से 28 सितंबर निकले थे तो यह बोलकर आए थे कि वो दिल्ली का घर खाली करने जा रहे हैं। इसके बाद अमरिंदर 29 सितंबर को शाम को गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे। यहां 45 मिनट मीटिंग के बाद अमरिंदर वापस अपने घर गए और अगले दिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मिले।

दरअसल बीजेपी को केंद्र नहीं बल्कि पंजाब के लिए एक कद्दावर चेहरे की तलाश है। जोकि भाजपा के लिए सियासी जमीन तैयार करे और राज्य से उठे किसान आंदोलन को भी शांत कर सके। कैप्टन पंजाब की राजनीति को बेहतर समझते हैं और वहां उनका अपना स्थायी वोट बैंक भी है।
लिहाजा कैप्टन अगर अपना एक नया दल या गैर राजनीतिक संगठन बनाकर काम करते हैं तो वो एक वोट बैंक को अपनी ओर कर पाएंगे। दूसरी ओर बीजेपी में रहते हुए उनके वोट बैंक पर किसानों की नाराजगी का सीधा असर पड़ेगा। लिहाजा शाह ने उन्हें बीजेपी का विश्वासपात्र बनाकर इन दोनों कामों के लिए प्रेरित किया।


कांग्रेस के खिलाफ खोला मोर्चा

कैप्टन ने साफ कहा है कि वे नवजोत सिंह सिद्धू को किसी भी हालत में पंजाब की किसी सीट से जीतने नहीं दिया जाएगा। देश की सुरक्षा को लेकर कैप्टन ने सिद्धू पर गंभीर आरोप भी लगा चुका हैं। अमित शाह से मुलाकात के बाद उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद कैप्टन ने साफ किया कि सुरक्षा के मामलों पर बातचीत हुई है। लिहाजा कैप्टन की यह मुलाकात उनके आगे के सियासी सफर के लिए तुरप का इक्का साबित होगी। एक तो वे सिद्धू को पंजाब की राजनीति से बाहर करने में कामयाब होंगे। दूसरे वे सिद्धू पर मेहरबान रही कांग्रेस को भी मज़बूर करेंगे कि वो सिद्धू से दूरी बना लें।
CSDS के निदेशक और चुनाव विश्लेषक संजय कुमार ने बताया कि कैप्टन अमरिंदर कांग्रेस के 4% से 5% वोट को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वो इसको बढ़ाकर 6 परसेंट तक ले जा सकते हैं। ऐसे में अगर यह वोट बीजेपी के वोट प्रतिशत के साथ जुड़ा तो आंकड़ा 10 परसेंट होगा। 2017 के चुनाव में भाजपा वहां 6 परसेंट ही वोट ले पाई थी।

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