सोनिया को लिखी चिट्ठी की टाइमिंग को राहुल के गलत बताते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गांधी से भिड़े

सोनिया को लिखी चिट्ठी की टाइमिंग को राहुल के गलत बताते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गांधी से भिड़े

कांग्रेस पार्टी की अंतर्कलह सोमवार को वर्चुअल कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में बड़े बखेड़े के रूप में सामने आ गई। पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से सोनिया गांधी को लिखे पत्र की टाइमिंग पर राहुल गांधी ने सवाल खड़े कर दिए।

वर्किंग कमेटी की बैठक में अपने संबोधन के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि ऐसा वक्त क्यों चुना गया जब पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान में लड़ाई लड़ रही थी. साथ ही सोनिया गांधी बीमार थीं, ऐसे वक्त पर ही चिट्ठी क्यों लिखी गई।

सोनिया द्वारा अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश के बाद यह ड्रामा खेला गया।

एक पखवाड़े पहले सोनिया को लिखने वाले शीर्ष नेताओं ने बैठक में बोलते हुए पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल के आरोपों के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, जो हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक थे, ने पार्टी से इस्तीफा देने की पेशकश की।

कपिल सिब्बल ने लड़ाई को सार्वजनिक करना ठीक समझा। उन्होंने कथित तौर पर पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं और भाजपा के बीच “मिलीभगत” के ‘आरोप ‘ को लेकर ट्विटर पर राहुल पर निशाना साधा। हालांकि, ट्वीट करने के एक घंटे के भीतर सिब्बल ने कहा कि उन्होंने राहुल के साथ बात की, जिन्होंने ऐसी टिप्पणी करने से इनकार किया और उन्होंने अपने ट्वीट वापस ले लिया।

राहुल ने क्या कहा

सोनिया को विवादास्पद पत्र लिखे जाने के बाद राहुल का आज कार्यसमिति की बैठक में प्रतिशोध सामने आया। उन्होंने सोनिया को विवादास्पद चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर सीधा वार करते हुए कहा इन नेताओं ने चिट्ठी लिखने का गलत समय चुना और उनके इस कदम से सीधा-सीधा बीजेपी को फायदा पहुंचा।

माना जाता है कि राहुल ने कहा कि जब राजस्थान में कांग्रेस उथल पुथल का सामना कर रही थी और मध्य प्रदेश में सरकार गिर चुकी थी उस समय चिट्ठी लिखने का समय बिल्कुल गलत था और इससे बीजेपी को सीधे-सीधे लाभ पहुंचा।

गौरतलब है कि एक पखवाड़े पहले अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र में “पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व” की मांग करते हुए नेतृत्व शून्य की आलोचना की गई थी।

राहुल ने पत्र के समय पर भी यह सवाल खड़ा किया कि सोनिया उस समय ठीक नहीं थीं। 73 वर्षीय सोनिया को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में 30 जुलाई को “नियमित परीक्षण” के लिए भर्ती कराया गया था और तीन दिन बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।

सूत्रों के अनुसार राहुल ने यह भी कहा कि सोनिया नेतृत्व की भूमिका से मुक्त होना चाहती थीं, और “पार्टी के आग्रह” पर ही उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला।

राहुल गांधी की टिप्पणी सोनिया के नेताओं को संबोधित करने के तुरंत बाद आई। सोनिया ने पार्टी नेताओं को नया अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए कहा।

उन्होंने पार्टी महासचिव के आंतरिक संवाद में रविवार को पद छोड़ने की पेशकश की थी। माना जाता है कि उन्होंने सीडब्ल्यूसी की बैठक में भी यही दोहराया।

बैठक में उपस्थित अन्य प्रमुख नेताओं में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल शामिल थे।

मनमोहन सिंह और वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी कांग्रेस नेतृत्व के बचाव में उतरे। एंटनी ने सोनिया के नेतृत्व का समर्थन किया।

सूत्रों ने कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने भी पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं पर भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया।

परिवार के लिए समर्थन

कांग्रेस के कई नेताओं द्वारा सोशल मीडिया पर गांधी परिवार के समर्थन में उतरने के बाद वेबैक्स पर यह वर्चुअल सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई।

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने बैठक से घंटों पहले सोनिया गांधी के समर्थन में ट्वीट किया।

“श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व का कोई भी सुझाव या आग्रह बेतुका है। मैं श्रीमती सोनिया गांधी से अपील करता हूं कि वे अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी को मजबूती प्रदान करें और कांग्रेस का नेतृत्व करें।

सिंह ने एक कदम आगे बढ़कर राहुल को अध्यक्ष पद संभालने का सुझाव दिया। “अगर सोनिया जी ने पद छोड़ने की इच्छा जताई है तो राहुल जी को अपनी जिद छोड़ते हुए अध्यक्ष पद स्वीकार करना चाहिए,” उन्होंने लिखा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *