LRO on Justic Shinde: भीमा कोरेगांव (Bhima Koregaon) मामले में नक्सल आतंकवाद (Naxal terrorism) के आरोपी फादर स्टैन स्वामी (Father Stan Swami) की तारीफ करने के मामले में मुंबई हाई कोर्ट के जस्टिस एस एस शिंदे के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा गया है। लीगल राइट ऑब्जर्वेटरी ने सोशल मीडिया के जरिए चलाई इस मुहिम में लोगों को इस चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने की अपील की गई है। इसके बाद इस चिट्ठी को महामहिम को भेजा जाएगा।
राष्ट्रपति को लिखी इस चिट्ठी में लिखा गया है कि जस्टिस शिंदे लगातार कई मामलों में एकतरफा नज़र आए हैं, जोकि समाज का न्यायव्यवस्था पर से भरोसा कम करता है। लिहाजा जज इंक्वारी एक्ट 1968 की धारा 218 के तहत एलआरओ ने जस्टिस एस एस शिंदे पर महाभियोग चलाए जाने की मांग की है।
इस चिट्ठी में लिखा गया है कि जस्टिस शिंदे की बैंच को रोस्टर के जरिए सभी राजनैतिक केस अलॉट होते हैं, जोकि एक तरह से मेन्यूप्लेशन है। पहले भी जस्टिस शिंदे की बैंच ने अर्नब गोस्वामी मामले में दो साल पुराने बंद केस में अर्नब गोस्वामी को जमानत नहीं दी थी। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ये जमानत दी थी। इसी तरह सुधा भारद्वाज और नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के मामले में भी जस्टिस शिंदे ने आरोपी कथौलिक फॉदर स्टैन स्वामी की मृत्यु पर कहा था कि, “हमें उनकी सेवाओं का बहुत सम्मान है”। इसको लेकर भी एलआरओ ने सवाल उठाया है।
इससे पहले एलआरओ ने इस मामले पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भी पत्र लिखकर जस्टिस शिंदे को भीमा कोरेगांव मामले से अलग करने की अपील की थी। इसके बाद जस्टिस शिंदे ने भीमा कोरेगांव मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।