Hijab row: हिजाब पर फैसले से पहले कर्नाटक में स्कूल बंद

Hijab row: हिजाब मुद्दे पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ मंगलवार सुबह फैसला सुनाने जा रही है। इसको देखते हुए राज्य की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है।

फैसले को देखते हुए कर्नाटक के कई जिलों में स्‍कूल- कालेज बंद कर दिए गए हैं और कई जिलों में धारा 144 लागू है। तीन न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन भी शामिल हैं, उन्होंने सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले को फैसले के लिए सुरक्षित रखा था। देश में सभी राज्यों में स्कूलों में यूनिफार्म पहनकर आने का नियम है। जबकि उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज फार गर्ल्स की छह छात्राओं ने हिजाब पहनकर आने की जिद में विरोध शुरू किया था। बाद में यह विरोध राज्य के अन्य जिलों में फैल गया था। विवाद बढ़ने पर कुछ हिंदू छात्र भगवा शाल में आने लगे थे।

इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा हिजाब विवाद पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले से पहले दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिले डीसी ने 15 मार्च को सभी स्कूलों और कॉलेजों को फिलहाल बंद करने का आदेश दिया है। दक्षिण कन्नड़ के डीसी डा राजेंद्र केवी के मुताबिक बाहरी परीक्षाएं निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक होंगी, लेकिन सभी स्कूलों और कॉलेजों की आंतरिक परीक्षाएं फिलहाल स्थगित हो गई हैं। कलबुरर्गी के डीएम यशवंत वी गुरुकर ने बताया कि मंगलवार को हिजाब विवाद पर फैसले के मद्देनजर जिला प्रशासन ने सोमवार शाम 8 बजे से 19 मार्च की सुबह 6 बजे तक धारा 144 लागू की है

शिवमोगा के एसपी बीएम लक्ष्मी प्रसाद ने बताया कि शिवमोगा में कल (15 मार्च) सभी स्कूल और कॉलेज बंद रखे गए हैं। जिले में 21 मार्च तक धारा 144 लागू की गई है। सुरक्षा को देखते हुए केएसआरपी की आठ कंपनियां, जिला सशस्त्र रिजर्व की छह कंपनियां, आरएएफ की एक कंपनी तैनात की गई है।

ऐसे पहुंचा कोर्ट में विवाद 

जो लड़कियां हिजाब पहनकर प्री कॉलेज आना चाहती थी उन्होने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उन्हें हिजाब पहनकर कक्षा आने दिया जाए। इससे पहले कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया कि स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब या भगवा शॉल की अनुमति नहीं है, याचिकाकर्ताओं ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मामले को सुनने से इन्‍कार कर दिया और याचिकाकर्ताओं से उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा था। 

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