Drone for 5G: समृद्ध होती तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से अब कई दिन में होने वाले काम कुछ सेकंड्स में ही हो पा रहे हैं। 5जी कम्युनिकेशन नेटवर्क की इंफ्रास्ट्रक्चर और वास्तुकला योजना प्रणाली बहुत ही मुश्किल थी। इसे आसान बनाने के लिए नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एनएसयूटी) के पूर्व छात्र ने एक ड्रोन बनाया किया है। यह ड्रोन न सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के साथ खुद चलता है, बल्कि ये जियोफेंसिंग तकनीक का भी इस्तेमाल भी करता है। 5जी नेटवर्क के टावर लगाने से पूर्व किए जाने वाले जरूरी सर्वे को ड्रोन के माध्यम से करने वाला भारत पहला देश बन गया है।
एनएसयूटी (NSUT) के पूर्व छात्र अरुष बरतरिया के मुताबिक दो किलोग्राम से कम वजन का यह ड्रोन 200 फीट ऊंड़ान भर सकता है। इसे विशेष रूप से 5जी कम्युनिकेशन नेटवर्क की इंफ्रा व वास्तुकला योजना से पूर्व होने वाले सर्वे को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। भारत में 5जी नेटवर्क को लांच करने की जोर-शोर से तैयारी चल रही है। करीब 30 मिनट में यह ड्रोन 15 हेक्टेयर क्षेत्रफल को कवर कर सकता है।
दरअसल शहरीकृत इलाकों में सर्वे के दौरान आने वाली चुनौती जैसे तंग गलियां, ऊंची-नीची इमारतें आदि को मद्देनजर रखते हुए इस ड्रोन को तैयार किया गया है। ड्रोन में साफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) तकनीक का इस्तेमाल भी किया गया है। इस तकनीक की मदद से ड्रोन धरातल पर लगातार रेडियो वेव भी भेजता रहता है, जो टकराकर लौट आती हैं और इसके बाद उसका एनालिसिस कर मोबाइल टावर किस जगह पर व कितनी क्षमता का लगाया जा सकता है, उसकी सटीक जानकारी मिलती है। अरुष बताते हैं कि इस ड्रोन की मदद से नेटवर्क के प्रसार से जुड़ी योजनाओं व प्रक्रिया के कार्य को पांच हजार गुना तेजी से किया जा सकता है। पहले यही सर्वे से जुड़ा कार्य एक सप्ताह में सुनिश्चित होता था और अब कुछ सेकेंड में हो रहा है। 4जी नेटवर्क के दौरान सर्वे के लिए सेटेलाइट का प्रयोग किया गया था, पर 5जी नेटवर्क के लिए वह तकनीक कारगर नहीं है।