Wheat prices: रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से किसान मंडियों से हुए गायब

Wheat prices: रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध का असर सिर्फ पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत पर ही नहीं पड़ रहा है, बल्कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी इसका भारी असर दिख रहा है। ख़ासकर गेंहू की कीमतें तो अभी से ही 20 परसेंट से ज्य़ादा बढ़ गई है, जबकि देश के कई हिस्सों में फिलहाल गेंहू की कटाई शुरु हो चुकी है।

दरअसल दुनिया के गेंहू उत्पादन का कुल 25 परसेंट हिस्सा रूस-यूक्रेन से आता है, इस वजह से दुनिया में गेंहू संकट के आसार दिख रहे हैं। इसको देखते हुए भारत के गेंहू की मांग चीन, जापान, टर्की, इजिप्ट और इंडोनेशिया जैसे देशों में बढ़ गई है। इसकी वजह से गेंहू के दाम अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कीमतें काफी तेज़ हो गए हैं।

कृषि विशेषज्ञ आर एस राणा के मुताबिक, रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से बाज़ार में गेंहू की कीमतें काफी बढ़ हुई है, जोकि एमएसपी से ऊपर है। इस वजह से किसान भी सीधे कंपनियों को गेंहू बेच रहे हैं। फिलहाल मध्यप्रदेश का गेंहू आना शुरु हुआ है। अगले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश, फिर पंजाब हरियाणा का गेंहू भी आ जाएगा। उस समय गेंहू की कीमत कुछ कम हो सकती हैं, लेकिन सीजन के बाद इसमें तेज़ी रहेगी। इस बार ज्य़ादातर गेंहू प्राइवेट कंपनियां खरीद रही हैं। इसलिए सरकारी ख़रीद का टारगेट भी पूरा हो, इसको लेकर संश्य है। सरकार ने इस साल गेंहू खरीद के लिए 444 लाख टन का टारगेट रखा है।

गेंहू की कीमतों में ख़ासी तेज़ी को देखते हुए जिन राज्यों में सरकारी खरीद शुरु हुई है, वहां किसान मंडियों में नज़र नहीं आ रहे हैं। चुंकि गेंहू की भारी मांग को देखते हुए बड़ी बड़ी कंपनियां सीधे ही किसानों तक पहुंच चुकी हैं और उनसे गेंहू खरीद का सौदा कर चुकी है। साथ ही फ्लोर मिल्स को भी गेंहू खरीद कर उसे स्टॉक कर रहे हैं ताकि वो सारा साल आटे की सप्लाई बरकरार रख सकें।

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