Cast Census: देश में हिंदुओं की बढ़ती ताकत को देखते हुए विपक्षी पार्टियां एक बार फिर देश को जातियों में बांटने की कोशिशों में लग गई है। बिहार में सालों से वोटिंग के नाम से होती हुई जातिगत जनगणना को बिहार के राजनैतिक दल आधिकारिक तौर पर जातियों की गिनती कराने जा रहे हैं। इस पूरी मुहिम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी शामिल हैं।
दरअसल राजनैतिक कारणों से लंबे समय से हिंदू समाज को जातियों में बांटा जाता रहा है। हालांकि पिछले कुछ समय से हिंदुओं में जातियों का बोलबाला कम हुआ है। इससे पूरे देश में बीजेपी की स्थिति मज़बूत हुई है। लिहाजा अब विपक्षी पार्टियां जिन राज्यों में जातियां अभी भी मज़बूत हैं, वहां इनकी गणना के नाम पर इनमें आपसी दरार डालने की कोशिश होने लगी है।
मंडल कमीशन के बाद नहीं बनी स्थायी सरकार
देश में जातियों के बंटवारे के लिए मंडल कमीशन बना था, उस मंडल कमीशन के बाद देश में जातियों के बीच आपसी भेदभाव बढ़ा था। पूरे देश में जातियों के आरक्षण के नाम पर दंगे और धरने प्रदर्शन तक हुए थे। जातियों में हुए बंटवारे के बाद देश में कोई स्थायी सरकार लंबे समय तक नहीं रही थी। साथ ही देश में जातियों की राजनीति करने वाले छोटे छोटे दल पनप गए थे। लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, मायावती जैसे नेता मंडल कमीशन के आंदोलन के बाद ही बड़े नेता बने थे।
बिहार में फिर जातिगत गणना
बिहार में जातीय जनगणना (caste census in bihar) पर फैसला हो गया है। बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में उनके घर पर हुई सर्वदलीय बैठक में जातीय जनगणना के बारे में फैसला लिया गया कि जातीय जनगणना का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। साथ ही तय समयसीमा तक जातीय आधारित जनगणना की जाएगी।
देश में जातियों के बंटवारे के समर्थक रहे राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने इसे अपनी और लालू यादव की जीत बताया। तेजस्वी यादव ने इस फैसले के बाद कहा कि जातीय जनगणना की लड़ाई लालू यादव ने लड़ी थी।