Rs. 500cr Cast Census: बिहार की नीतिश कुमार सरकार (Bihar Nitish Kumar Sarkar) ने अपने राज्य में जातियों की गणना करने के लिए खज़ाना खोल दिया है। नीतिश कुमार की सरकार ने राज्य में सिर्फ जातियों की गणना के लिए 500 करोड़ का बजट रखा है। इस पैसे को खर्च करके सिर्फ ये पता लगाया जाएगा कि राज्य की 14 करोड़ आबादी किस किस जाति की हैं। हालांकि इस दौरान जातियों की आर्थिक स्थिति का पता भी लगाया जाएगा।
दरअसल इससे पहले भी देश में मंडल कमीशन लागू हुआ था, उसके बाद जातियों के बीच आपसी कटुता बढ़ी थी और देश में अपने को पिछड़ा बताने की होड़ लग गई थी।
Cast Census: हिंदुओं की बढ़ती ताकत को कम करने के लिए फिर जातिय गणना का पासा?
गुरुवार को बिहर कैबिनेट ने जातीय जनगणना कराने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूर कर लिया और इसके साथ ही राज्य में जाति आधारित गणना करने की प्रक्रिया चालू हो गई। राज्य के चीफ सेक्रेटरी आमिर सुबहानी के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में जाति आधारित गणना कराने का प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। गांवों में किस जाति के कितने लोग है, इसको गिनने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को लगाया गया है और जिलाधिकारी यानी DM नोडल अधिकारी बनाया गया है। इस काम के लिए सामान्य प्रशासन विभाग किसी भी विभाग की सहायता ले सकेगा।
नीतिश कुमार ने इसके लिए 500 करोड़ रुपये बिहार आकस्मिकता निधि से देने का प्रावधान किया है। फरवरी 2023 तक इस गणना का काम किया जाएगा। इससे पहले कर्नाटक की कांग्रेस सिद्दरमैया सरकार ने 2014 में जातीय जनगणना शुरू की थी, लेकिन इसका काफी विरोध हुआ तो इसका नाम बदलकर ‘सामाजिक एवं आर्थिक’ सर्वे किया गया। हालांकि 2017 में आई इसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई हैं, क्योंकि इसमें 192 से अधिक नई जातियां सामने आई थीं।