चिराग पासवान (Chirag Paswan) की महत्वकांक्षा का खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ सकता है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सहयोगियों के बीच सीटों के बंटवारे की गुत्थी अब तक उलझी है। लेकिन बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री (CM) नीतिश कुमार (Nitish Kumar) लोजपा (LJP) को बीजेपी का खाते का मानकर अपना पल्ला झाड़ चुके हैं। लिहाजा अब मामला बीजेपी और लोजपा के बीच कर रह गया है।
सूत्रों के मुताबिक बिहार और देश में दलित वोट (Dalit) बैंक अच्छी ख़ासी संख्या में हैं। ऐसे में बीजेपी किसी भी तरह से दलित वोट को छोड़ना नहीं चाहेगी। ऐसे में नीतिश कुमार जेडीयू को 100 सीटों से कम पर लड़वाना नहीं चाहते। बीजेपी के पास भी बंटवारे में 100 सीटें ही आएंगी। बाकी बची हुई सीटें सहयोगी दलों में 43 सीटों का बंटवारा एनडीए के लिए बड़ी परेशानी होगी। लेकिन बड़ी बात ये है कि 16 फीसदी दलित बिरादरी नाराज ना हो। इसके लिए लोजपा को एनडीए में रखना बहुत ही जरूरी है। लेकिन नीतिश कुमार और चिराग पासवान के बीच की दूरी इसमे कांटे पैदा करती है। लिहाजा बीजेपी को ही इसमें अपने खाते की सीटें लोजपा को देनी पड़ सकती है।
चुंकि लोजपा प्रमुख पासवान की दलित बिरादरी में अच्छी पैठ रही है। खराब परिस्थितियों में भी लोजपा को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में औसतन छह से 11 फीसदी वोट हासिल होते रहे हैं। ये वोटबैंक गठबंधन के लिए बेहद जरूरी है। पार्टी के एक बड़े नेता के मुताबिक अगर सब ठीक से लड़ेंगे तो 160 से 195 सीटें आराम से जीती जा सकती हैं। ऐसे में लोजपा का गठबंधन में बने रहना जरूरी है। इसलिए कुछ बात सीटों पर अगर उन्हें महत्व भी देना पड़े तो पार्टी देगी।
2020-09-27