जैसी की उम्मीद थी वैसा ही हुआ, बिहार पुलिस (Bihar Police) के महानिदेशक (DGP) पद से वीआरएस (VRS) ले चुके गुप्तेश्वर पांडे (Gupteshwar Pandey) जेडीयू (JDU)में शामिल हो गए। पांच दिन पहले ही उन्होंने पुलिस विभाग से वीआरएस ली थी। तभी ये माना जा रहा था कि वो विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पांडे को जदयू की औपचारिक सदस्यता दिलाई। ख़ास बात ये है कि गुप्तेश्वर पांडेय को सीएम नीतीश ने मुख्यमंत्री आवास पर सदस्यता दिलाई। जोकि इस बात को दिखाता है कि वो सीएम के काफी करीब है। जिस तरह के बयान उन्होंने सुशात सिंह की मौत के बाद केस इंवेस्टिगेशन में दिए थे। उसके बाद ही लग रहा था कि वो बिहार चुनावों में हिस्सा ले सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी की सदस्यता लेने के बाद वे बक्सर से विधान सभा चुनाव लड़ सकते हैं। दूसरी ओर इस सवाल के जवाब में गुप्तेश्वर पांडे्य ने मीडिया से कहा कि मैं दल का अनुशासित सिपाही हूं। अब चुनाव लड़ने या ना लड़ने का फैसला दल का होगा, मेरा नहीं। यह पार्टी के उपर है कि वो मुझसे कैसी सेवा चाहती है।
दरअसल सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले से पहले नीतिश कुमार पर विपक्ष काफी हमलावर था। राज्य सरकार से लगातार विकास से संबंधित सवाल पूछे जा रहे थे। राज्य में बेरोज़गारी एक बड़ा मुद्दा था। ऐसे में जेडीयू और बीजेपी परेशानी में थे। लेकिन राजपूत की मौत के बाद बिहार में सुशांत की मौत को लेकर दर्ज की गई एफआईआर ने राज्य का चुनावी मूड ही बदल दिया। बिहार की राजनीति में इस घटना के बाद विकास की बजाए राजपूत के बारे में पूछताछ होने लगी। इसमें डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडे ने बड़ी भूमिका निभाई। पांडे ने ही राज्य सरकार को मामले की जांच सीबीआई को देने की सिफारिश की थी। इससे राज्य की राजनीति में गुप्तेश्वर पांडे की पूछ बढ़ गई थी।
2020-09-27