आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच चल रही लड़ाई में रोकने की कोशिशें कुछ कामयाब हुई दिखती है। रूस की मध्यस्तता में लगाए जा रहे युद्ध विराम के बाद कल आधी रात से इस इलाके में अब शांति है। हालांकि दोनों ओर से आक्रामकता में फिलहाल कोई कमी नहीं है।
कभी USSR के ही गणराज्य रहे आर्मेनिया और अजरबैजान पिछले नागोर्नो-काराबाख नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र अजरबैजान के क्षेत्र में आता है, लेकिन इस पर 1994 से आर्मेनिया समर्थित आर्मेनियाई जातीय समूहों का नियंत्रण है। तभी से दोनों देशों के बीच लगातार संघर्ष चल रहा है। फिलहाल नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर अजरबैजान और आर्मीनियाई बलों के बीच 27 सितंबर को संघर्ष शुरू हुआ था, जिसमें सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 25 वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच इतने बड़े पैमाने पर छिड़ी यह पहली लड़ाई है। पिछले कुछ दिनों में दोनों देश एक दूसरे पर मिसाइलों से भी हमला कर रहे हैं। जोकि रिहायशी इलाकों में गिर रही हैं। इससे दोनों देशों को काफी नुकसान हुआ है।
इस बीच रूस की पहल पर दोनों देशों के बीच एक बार फिर आधी रात से संघर्षविराम समझौता लागू करने की कोशिश हुई है। पिछले हफ्ते भी रूस की मध्यस्थता से दोनों के बीच संघर्ष विराम को लेकर समझौता हुआ था, लेकिन इसके लागू होने के कुछ ही देर बाद दोनों देशों ने एक दूसरे पर फिर से हमला कर दिया था और दोनों पक्षों ने इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया था।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ फोन पर बातचीत के बाद आर्मेनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों ने नए समझौते की घोषणा की। लावरोव ने दोनों देशों से मॉस्को समझौते का पालन करने की अपील की।