#AbheyChoutala: एक समय हरियाणा की राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाले बहुचर्चित महम कांड में आज रोहतक की अदालत ने फैसला सुना दिया। अदालत ने इस मामले में केस को दोबारा शुरू करने की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। इससे इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला और अन्य लोगों को बड़ी राहत मिली है। इस मामले में अब दोबारा केस शुरू नहीं होगा। 27 फरवरी 1990 को हुए इस बहुचर्चित महम कांड को लेकर कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें लगी हुई थीं। वही बचाव पक्ष वकील विनोद अहलावत ने इसे सच्चाई की जीत बताया है वही विपक्षी पार्टी के वकील ने हाई कोर्ट में जाने की बात कही है।27 फरवरी 1990 को महम उपचुनाव के दौरान बैंसी में हुआ था बवाल। वही पीड़ित पक्ष के वकील जितेंद्र हुड्डा का कहना है कि एडीशनल सेशन जज की कोर्ट ने रिवीजन खारिज की है ना कि केस , केस अभी भी खुला है रिवीजन के विरुद्ध उन्होंने हाई कोर्ट जाने की बात कही है।
दरअसल 27 फरवरी 1990 में महम उपचुनाव के दौरान बैंसी गांव में बवाल हुआ था, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। इस उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला उम्मीदवार थे। यह मामला बंद हो गया था, लेकिन केस फिर शुरू करने के लिए सितंबर 2018 में सेशन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई। इस याचिका में इनेलो नेता अभय चौटाला और उस समय डीआइजी रहे शमशेर सिंह समेत कई अन्य पर आरोप लगाए गए हैं।इसके चलते 23 जनवरी शनिवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सोमवार तक फैसला सुरक्षित रखा गया था, लेकिन आज वाईके बहल की अदालत ने फैसला सुनाते हुए अभय सिंह चौटाला ओर दूसरे आरोपियो को राहत दी है आरोपी पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है।
वहीं दूसरी ओर पीड़ित पक्ष के वकील ने हाईकोर्ट जाने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि रोहतक की कोर्ट ने केवल रिवीजन की याचिका रद्द की है, केस की कैंसिलेशन रिपोर्ट नहीं आई है। जिसके चलते केस अभी खुला है, इस केस में पुलिस पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाई और उसने अन्य ट्रेस रिपोर्ट कोर्ट में फाइल की थी जिसके चलते कोर्ट ने रिवीजन खारिज कर दी ।अब वह रिवीजन के विरुद्ध हाईकोर्ट में जाएंगे । क्योंकि मामला बड़ा संगीन है और उस वक्त सरकार ने आरोपियों को बचाने की भरपूर कोशिश की थी। तो वहीं दूसरी ओर बचाव पक्ष के वकील ने मामले में सुनवाई के बाद खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि आज सच्चाई की जीत हुई है क्योंकि 27 साल बाद यह याचिका कोर्ट में डाली गई थी और जज ने याचिकाकर्ता से केवल एक ही सवाल पूछा था कि आखिर 27 साल के बाद ही आपको यह याद क्यों आया कि ऐसी कोई घटना हुई है। इसलिए इस मामले में कोई सच्चाई नहीं लगती और इस याचिका को खारिज किया जाता है। गौरतलब है कि रोहतक कोर्ट पर आज पूरे हरियाणा की निगाह थी क्योंकि 27 फरवरी 1990 को हुए महम कांड के बाद मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर हुआ था।