#FarmersProtest: कृषि कानूनों के खिलाफ रेल रोको आंदोलन शुरू होने से पहले ही खत्म होता लगता है। किसान संगठन पहले जहां देशभर में रेल रोकने की बात कर रहे थे, वहीं अब ये खुद ही अलग अलग बात कर रहे हैं। जहां राकेश टिकैत इसको सांकेतिक कह रहे हैं। वहीं दूसरी ओर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (पंजाब) कह रहे हैं कि पंजाब 32 जगहों पर ट्रेनें रोकी जाएंगी।
दरअसल 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में हिंसा के बाद किसान आंदोलन कमजोर पड़ता दिख रहा है। इससे पहले देशभर में किया चक्का जाम भी फेल हो गया था। लिहाजा रेल रोको आंदोलन के भी बेअसर होने की आशंका को देखते हुए किसान संगठनों ने खुद ही संकेतिक और सीमित समय वाला बोलना शुरू कर दिया है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि स्थानीय लोग ही अपने-अपने क्षेत्रों में ट्रेन रोकेंगे। सांकेतिक रूप से ही ट्रेनें रोकी जाएंगी। इस दौरान इंजन पर फूलमाला चढ़ाने के साथ चालक को फूल दिया जाएगा और यात्रियों को जलपान कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि ट्रेन रोको कार्यक्रम का उद्देश्य बंद ट्रेनों को शुरू करवाना है। यूपी गेट स्थित धरनास्थल से कोई भी व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा। टिकैत ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले वह बंगाल जाएंगे और वहां के किसानों की समस्या सुनकर केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगेंगे।
वहीं, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (पंजाब) ने पंजाब में 32 जगह ट्रेन रोकने का एलान किया है। सिंघु बार्डर पर कमेटी के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने मंच से कहा कहा, ’32 जत्थेबंदियां पंजाब में 32 जगह रेल रोकेंगी। गांवों में भी फोन कर दो कि लोग पत्नी, बच्चों को साथ लेकर ज्यादा से ज्यादा संख्या में रेल रोकने को पहुंचे। जो भी स्टेशन उनके पास पड़ता है, वह वहां जरूर जाएं।’ पन्नू ने कहा कि आने वाले दिनों में आंदोलन तेज किया जाएगा। 25 फरवरी को तरनतारन में रैली होगी। इसके बाद कपूरथला, जालंधर, मोघा आदि स्थानों पर रैली निकाली जाएगी। अब धीरे धीरे आंदोलन पंजाब तक सीमित होता जा रहा है। पंजाब के कुछ जिलों को छोड़कर बाकी जगह इसका असर ना के बराबर है। लिहाजा किसान संगठनों का ज़ोर भी इसे पंजाब के इलाकों में सफल बनाने का ही रहता है।