कांग्रेस मुक्त भारत’ के अलावा भाजपा एक और प्रोजेक्ट पर बढ़ रही है आगे जिसका नाम है-क्षेत्रीय दल मुक्त भारत

भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस मुक्त भारत के अपने अभियान के अलावा क्षेत्रीय दल मुक्त भारत की ओर बढ़ती हुई दिख रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी सियासी तौर पर अब क्षेत्रीय दलों का दबदबा कम या खत्म करने की कोशिश कर रही है। जिन राज्यों में भाजपा का कुछ क्षेत्रीय दलों के साथ गठजोड़ है, उसमें वह दूसरे क्षेत्रीय दल या फिर कांग्रेस को खत्म करने के लिए गठबंधन का धर्म निभा रही है।

नीतीश से क्यों नाता नहीं तोड़ा

उदाहरण के लिए राजनीतिक पंडित इस बात पर हैरानी जता रहे हैं कि बिहार में नीतीश कुमार का पहले जैसा रुतबा और दबदबा नहीं होने के बावजूद आखिर अमित शाह ने क्यों नीतीश कुमार को आगामी चुनाव के लिए गठबंधन का मुख्यमंत्री मान लिया है और यहां तक कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को ज्यादा सीटें देने के लिए भी राजी हो गए हैं।

भाजपा के बड़े नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार को साथ लेने लेने का सबसे बड़ा कारण है कि अमित शाह नीतीश कुमार की जदयू से पहले लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल का प्रभाव कम करने की रणनीति में जुटे हुए हैं और उन्हें पता है कि वह यह काम अकेले नहीं कर सकते इसलिए नीतीश कुमार का साथ बरकरार रखा है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि अमित शाह यह भी नहीं चाहते कि जदयू उन से नाता तोड़कर एक बार फिर राजद कांग्रेस और अन्य दलों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाए जैसा कि 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ बना था और उन्हें बड़ी करारी हार झेलनी पड़ी थी।

अब बात करते हैं बाकी राज्यों की तो मोदी और शाह की जोड़ी ने राज्यों में कांग्रेस को कमजोर कर दिया है और जहां क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस की हालत पतली कर दी है वहां अब भाजपा इन दलों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

 

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चौतरफा घेर रखा है। बंगाल में अगले साल चुनाव है लिहाजा भाजपा और मोदी सरकार दोनों मिलकर बंगाल में जुट गए हैं। पार्टी वहां हिंदुत्व एजेंडे को जिंदा रखने में जुटी हुई है और उसका सबसे बड़ा मकसद वोटों का ध्रुवीकरण करना है ताकि वहां हिंदू हो तो का बंटवारा हो सके और भाजपा को इसका फायदा मिले। भाजपा का ममता बनर्जी का सबसे बड़ा आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस सरकार वहां हिंदुओं की अनदेखी कर रही है और मुसलमानों को बढ़ावा दे रही है।

 

उड़ीसा

उड़ीसा में बीजू जनता दल की नवीन पटनायक सरकार है। केंद्र में मोदी सरकार के साथ बीजू जनता दल के संबंध अच्छे हैं और संसद में भाजपा इस अच्छे संबंधों का फायदा अपने बिल पास कराने में इस्तेमाल करती है। भाजपा बीजेडी कि इस मदद का ख्याल रखती है और केंद्र में तो कम से कम उसे नाराज करने की कोई कोशिश नहीं करती। लेकिन राज्य में भाजपा ही बीजू जनता दल के विरोध में खड़ी है और वहां कांग्रेस कमजोर हो गई है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा हाईकमान को लगता है कि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के वर्चस्व के होते हुए उड़ीसा को फतह करना इतना आसान नहीं है इसलिए वह 74, हो चुके पटनायक के वर्चस्व कम होने का इंतजार कर रही है। भाजपा के एक नेता ने बताया कि हाईकमान का आकलन है कि पटनायक ने बीजू जनता दल में अपने बाद कोई दूसरा नेता या नेतृत्व स्थापित नहीं किया है इसलिए देर सबेर पार्टी वहां सत्ता में आ सकती है।

 

तेलंगाना

तेलंगाना में भी तेलंगाना राष्ट्र समिति की केसीआर सरकार से भी भाजपा के संबंध कुछ कुछ उड़ीसा के बीजू जनता दल जैसे ही हैं। जिस तरह बीजेडी केंद्र में भाजपा की मदद करती है वैसे ही टीआरएस भी मोदी सरकार को समर्थन देती है लेकिन राज्य में भाजपा अपनी जड़े जमा रही है और कांग्रेस जो वहां विपक्ष की भूमिका निभा रही है उसकी जगह लेने की पूरी कोशिश में है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य की 17 सीटों में जहां टीआरएस ने 9 सीट पर कब्जा किया था और कांग्रेस ने 3 सीट पर तब भाजपा ने 4 सीटें अपने खाते में हासिल कर ली थी।

आंध्र प्रदेश

उधर आंध्र प्रदेश में वहां के क्षेत्रीय दल टीडीपी और उसके मुखिया चंद्रबाबू नायडू की सियासत कमजोर हो गई है और भाजपा नायडू की जगह बनाने की कोशिश में जुटी है। आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की वाईआरएस पार्टी की सरकार है। वैसे तो जगन मोहन रेड्डी भाजपा का केंद्र में यानी संसद में कई मुद्दों पर समर्थन कर चुके हैं लेकिन राज्य में भाजपा उन्हें अपना विरोधी ही मानती है। पार्टी के एक नेता ने बताया कि शायद यही कारण है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अभी जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ सीबीआई में चल रहे मामलों को बंद नहीं किया है

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