भारत और नेपाल के बीच संबंध पहले की तरह अब नहीं है,चीन के नेपाल की राजनीति में दखल के चलते भारत और नेपाल के बीच को आपसी परेशानियां बढ़ी हैं। उनको कम करने के लिए भारत और नेपाल की बैठक होगी। हालांकि बैठक विकास और आर्थिक परियोजनाएं की समीक्षा ने नाम पर हो रही है। लेकिन उम्मीद है कि भारत इस बैठक में नेपाल को सख्त संदेश देगा। भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा और नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी आज द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होंगे।
सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच जारी द्विपक्षीय आर्थिक और विकासपरक परियोजनाओं की समीक्षा के लिए 2016 में समीक्षा प्रक्रिया शुरू की गई थी। लेकिन पिछले नौ महीनों से इस बातचीत में गतिरोध आ गया था। अब ये बैठक नौ महीनों के बाद 17 अगस्त को काठमांडू में होगी। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस दौरान दोनों देशों के बीच काफी तनातनी रही। ख़ासकर नेपाल ने चीन के दबाव में सीमाओं का नया नक्शा लाकर भारत के साथ संबंध खराब करने की भरसक कोशिश की। कोरोना काल में दोनों देशों के बीच लोगों के आने जाने पर पाबंदी है। इससे नेपाल में काफी परेशानियां हो गई हैं। बैठक में इसपर भी चर्चा होगी।
गौरतलब है कि नेपाल ने भारत में उत्तराखंड के कालापानी, लिपुलेख और लिम्प्युधारा को अपने नक्शे में दिखा दिया है। इससे नेपाल- भारत के बीच सीमा विवाद चला शुरू हो गया है। भारत के साथ संबंध बिगाड़ने के लिए नेपाल के कम्युनिस्ट नेता काफी कोशिश कर रहे हैं। ख़ासकर नेपाल के कम्युनिस्ट पीएम केपी शर्मा ओली ने अपने देश में फैले कोरोना को भारत की देन बताया और कहा कि असली अयोध्या नेपाल में है। उन्होंने ये तक कहा कि भारत नकली अयोध्या बनाकर सांस्कृतिक अतिक्रमण किया है।
चीन के इशारे पर भारत के साथ तनाव बढ़ाने में जुटे नेपाल का मिजाज ठंडा पड़ने लगा है। भारतीय इलाकों को अपने नक्शे में शामिल करके विवाद पैदा करने के बाद पड़ोसी देश अब दोबारा बातचीत करने के लिए रास्ते तलाश रहा है। काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सप्ताह में विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने पूर्व मंत्रियों, कूटनीतिज्ञों और विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा की है। ज्ञवाली ने भी इस बात की पुष्टि की है कि भारत के साथ बातचीत के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
2020-08-17