दिसंबर या जनवरी तक राहुल गांधी संभाल लेंगे कांग्रेस की कमान
सोमवार को 7 घंटे की बैठक के बाद टीवी चैनलों पर भले ही कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति को लेकर तमाम उतार-चढ़ाव की ब्रेकिंग खबरें आती रही लेकिन अंत में वही हुआ जो हमेशा से होता आ रहा है। गांधी परिवार की जीत हुई और कांग्रेस पार्टी एक बार फिर हारी। लेकिन इस सब के बाद अब क्या होगा यह भी जान लीजिए।
पार्टी के कई बड़े नेताओं ने बताया है कि फिलहाल सोनिया कांग्रेस अध्यक्ष रहेंगी।
नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।
जब पार्टी में सवाल उठाने वाले या मीडिया में खबरें लीक करके गांधी परिवार को विवादों में डालने वाले सब थक जाएंगे तब राहुल अध्यक्ष हो जाएंगे।
बुजुर्ग बनाम युवा की लड़ाई नहीं
पार्टी के एक अन्य सीनियर नेता ने कहा कि ये लड़ाई बूढ़े-जवानों के बीच की नहीं,ये पसंदगी-नापसन्दगी की लड़ाई है। पार्टी में एक धड़ा राहुल गांधी की कार्यशैली से नाराज है। उसका मानना है कि 2012 से नियुक्तियां राहुल गांधी ने कीं और यह नियुक्तियां गलत लोगों की हुईं। लेकिन इस धड़े का भी यही मानना है कि बिना गांधी परिवार के किसी सदस्य के यह पार्टी चल नहीं सकती इसलिए विरोध राहुल गांधी की कार्यशैली का है ना कि राहुल गांधी का।
क्यों नहीं हो सकता गैर गांधी अध्यक्ष
कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि
कांग्रेस में गैर गांधी तभी अध्यक्ष हो सकता है जब कोई गांधी सीधे तौर पर या पर्दे के पीछे से भी सियासत में ना हो वरना कोई माने न माने इन कांग्रेसियों की आस्था उनको एकजुट रखने की क्षमता इसी परिवार में है। अगर परिवार के रहते कोई नेता अध्यक्ष बनता भी है तो कार्यकर्ता तवज्जो नहीं देंगे।
राहुल के एक फोन पर बड़े नेताओं के होश उड़े
कपिल सिब्बल को राहुल ने एक फोन किया ट्वीट डिलीट। सिब्बल ने स्टूडियो राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा था कि उन्होंने पूरी जिंदगी इस पार्टी के लिए लगा दी और आज राहुल गांधी कह रहे हैं कि वह भाजपा को फायदा पहुंचा रहे हैं।
राहुल ने गुलाम नबी आजाद को भी साफ संकेत दे दिया। इसके बाद उन्होंने भी ट्वीट करके सफाई दी -“पार्टी के कुछ नेता जो सीडब्लूसी में नहीं है,उनके बयान पर उन्होंने आरोप साबित होने पर इस्तीफा ऑफर किया।”
सिब्बल और गुलाम नबी आजाद दोनों बोले-राहुल,सोनिया ने उनको कुछ कहा और न उनका बयान उन पर था।
वैसे भी जिन 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को खत लिखा यह सारे खाटी कांग्रेसी हैं हालांकि इनमें से कई जमीनी नेता नहीं है और कईयों ने तो अपनी जिंदगी में चुनाव तक नहीं लड़ा लेकिन हमेशा से इन्होंने पार्टी में बड़ी भूमिका निभाई है और हाईकमान के यह वफादारों में गिने जाते हैं। पार्टी की कार्यशैली,संगठन के काम करने के तरीके को बेहतर करने के लिए खत लिखा गया था। हालांकि कुछ दिक्कत इनमें से कई नेताओं के व्यक्तिगत पदों की भी है। इन नेताओं का विरोध राहुल की टीम को लेकर है ना कि राहुल को लेकर। यह नेता मानते हैं कि राहुल के अध्यक्ष बनते ही उनकी टीम फिर ताकतवर हो जाएगी और वे लोग फिर पीछे धकेल दिए जाएंगे।