रेगिस्तान का प्रदेश राजस्थान कहा जाता है जहां पानी के एक एक बूंद को लोग तरसते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से प्रदेश में बारिश बाढ़ लेकर आ रही है। जैसा कि जयपुर में हुआ था। लेकिन अब राज्य की किस्मत बदल सकती है। दरअसल तेल और गैस के बाद अब यहां पानी का अथाह भंडार मिला है। वैज्ञानिकों को राजस्थान के बाढ़मेर में एक छोटा समुद्र मिला है। हालांकि ये ख़ारा है।
भूवैज्ञानिकों की जांच में पाया गया है कि सामान्य तौर पर पेयजल में लवण की मात्रा 1000 मिलीग्राम प्रति लीटर तक होती है, लेकिन इस भंडार में न्यूनतम 5000 से 20,000 मिलीग्राम प्रति लीटर से भी ज्यादा है। जिसको पीने योग्य बनाने के लिए इसका ट्रिटमेंट करना होगा। हालांकि खाड़ी देशों में जो पानी पीने के लिए इस्तेमाल होता है। उसमें खारापन इस पानी से भी बहुत ज्य़ादा होता है। दरअसल रेगिस्तान में जहां भी तेल मिलता है। वहां पानी का भंडार भी अक्सर पाया जाता है। माना जाता है कि जहां आज रेगिस्तान है। कभी वहां समुद्र था।
जल संसाधन विभाग व केयर इंडिया एनर्जी के अफसरों का कहना है कि जितना अनुमान से कहीं ज्यादा जल का यह भण्डार है। लवणीयता कम करके इसे उपयोग में लिया जाता है तो रेगिस्तान की पेजयल की समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा। राज्य के बाड़मेर- सांचौर बेसिन क्षेत्र 3111 वर्ग किमी में फैला हुआ है। यहां साल, 2004 में देश की सबसे बड़ी तेल खोज मंगला हुई और इसके बाद 38 तेल कुओं से तेल उत्पादन हो रहा है। प्रतिदिन यहां 1.75 लाख बैरल तेल उत्पादित हो रहा है जो 2022 तक रिफाइनरी बनने तक 5.5 लाख बैरल तक पहुंच जाएगा। क्रूड ऑयल 750 से 2000 मीटर तक की गहराई पर मिला है।
राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का कहना है कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय को इस दिशा में काम करना चाहिए, जिससे जरूरतमंदों को पानी मिल सके। भू-वैज्ञानिक अनिल पालीवाल के अनुसार पेट्रो भौतिक डेटा, भूकंपीय सर्वेक्षण और विस्तृत हाइड्रो जियोलॉजिकल जांच के आधार पर केयर्न ऑयल एंड गैस कंपनी ने बाड़मेर बेसिन में थूम्बली जल भंडारों की खोज की है। बाड़मेर जिले के बायतु के पास माडपुरा बरवाला इलाके में मिले इस पानी का फैलाव बायतु, शिव, बाड़मेर, गुड़ामालानी से लेकर जालौर जिले के सांचौर और कुर्द तक है। ज़मीन की सतह से इसकी गहराई 350 से 1500 मीटर तक है।