बिहार चुनाव के नज़दीक आते आते महागठबंधन की दरार खाई में तब्दील हो गई है। लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की पार्टी ने महागठबंधन की बाकी पार्टियों के साथ बात नहीं बनते देख महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है। अब कुल मिलाकर एनडीए ही मैदान में है। राजद और बाकी विपक्षी दल अलग अलग चुनाव लडेंगे। हालांकि अपना चेहरा बचाने के लिए कहा जा रहा है कि आपसी समझ के साथ चुनाव लड़ा जाएगा। लेकिन ये बात साफ है कि महागठबंधन की सभी पार्टियां अलग अलग चुनाव लडेंगी।
हालांकि महागठबंधन के बिखरने की बात को राजद दबा रही है। लालू की पार्टी के सूत्र बताते हैं कि 2015 में राजद ने 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जबकि सहयोगी दल जदयू को 101 और कांग्रेस को 41 सीटें दी गयी थीं। लेकिन चुनाव के बाद सरकार बनने पर भी ज्य़ादा नहीं चल पाई थी। इसलिए बिना गठबंधन के लालू की पार्टी कम से कम 160 से 200 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। बाकी सीटों पर अपने सहयोगी पार्टियों के साथ आपसी तालमेल करेगी। हालांकि चुनावों में जब उम्मीदवार ताल ठोकते हैं तो आपसी तालमेल बिठाना मुश्किल हो जाता है।
सूत्र बताते हैं कि राजद कांग्रेस के लिए कुछ सीट छोडेंगी। राजद ने अपनी तरफ से कांग्रेस की सीटिंग सीटों पर अपना दावा नहीं करने का फै़सला किया है। लेकिन अभी तक इस मामले पर कांंग्रेस की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। जबकि यही हालात VIP और RLSP जैसी पार्टियों की भी है। दरअसल राजद ने इन पार्टियों को कहा है कि उम्मीदवार लालू और उनके बेटों के हिसाब से तय करें। यदि ये पार्टियां अपने हिसाब से उम्मीदवार उतारेंगी तो राजद फिर इन सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि कहा ये जा रहा है कि इन सीटों पर निषाद, मल्लाह और केवट जाति के ही उम्मीदवार उतारे जायें। कुल मिलाकर ये कहा जाए कि राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार चुनाव को अपने हिसाब से लड़ने का मन बना लिया है तो गलत नहीं होगा।
2020-08-28