चीन, रूस, इंग्लैंड, स्पेन, बेल्जियम समेत तमाम देशों में स्कूल खुले, भारत में भी सुगबुगाहट शुरू
चीन, रूस, इंग्लैंड, स्पेन, बेल्जियम समेत कई देशों में स्कूल खुल गए हैं और अब भारत में भी इसकी सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सरकार चाहती है कि कम से कम बड़े बच्चों को स्कूलों में आने की इजाजत दी जाए लेकिन अभिभावकों की राय को देखते हुए फिलहाल तुरंत फैसला करने में कतरा रही है।
हालांकि केंद्र सरकार ने अभी इस विचार को पूरी तरह से छोड़ा नहीं है और सीबीएसई एनसीईआरटी समेत तमाम संस्थाओं से इसे लेकर नई s.o.p.तैयार की जा रही है, लेकिन जिस तरीके से अभी जेईई की प्रवेश परीक्षा कराने को लेकर सियासी बवाल मचा इसे देखकर केंद्र सरकार भी फूंक फूंक कर कदम रख रही है।
दूसरे देशों से ना पिछड़ जाए हमारे बच्चे
वहीं शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि भारत में अगर स्कूल जल्दी नहीं खोलते हैं तो यहां के छात्र दूसरे देशों के मुकाबले पिछड़ सकते हैं। साथी उनका एकेडमिक वर्ष भी दूसरे देशों के छात्रों के मुकाबले पीछे हो जाएगा।
मां बाप के घर पर रहने से अर्थव्यवस्था पर असर
इसके अलावा अगर स्कूल इस साल नहीं खुलते तो देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा क्योंकि मां बाप के बच्चों की वजह से घर पर रहने से वह काम पर नहीं जा पाएंगे और जा भी पाएंगे तो उनका दिल और दिमाग अपने बच्चे की चिंता में ही लगा रहेगा।
यूरोप
यूरोप में करीब सवा करोड़ बच्चे मंगलवार को छह माह बाद स्कूल पहुंचे। पहले दिन के उत्साह के बीच बच्चों ने स्कूल की दीवारों पर सावधानियां बरतने के संदेश और संकेतक देखे। यहां रोज हजारों केस मिल रहे हैं, इसके बावजूद पहली बार बच्चे को स्कूल लेकर पहुंचे जेरोम कंटीनेंट कहते हैं, वे पूरी सजगता बरत रहे हैं, आखिर बच्चों को भी उनका जीवन जीना है।
पीएम जीन कास्टेक्स प्राथमिक स्कूली बच्चों के बीच जाकर बैठे तो राष्ट्रपति मैक्रां ने इंस्टाग्राम पर वीडियो से बच्चों को शुभकामनाएं दीं।
बालकन देशों जैसे अल्बानिया, क्रोएशिया, बुल्गारिया, रोमानिया आदि में भी इस प्रकार की पहल की गई है।
चीन: मंगलवार से सभी स्कूल शुरू
शिनजियांग क्षेत्र को छोड़ चीन ने मंगलवार तक सभी स्कूल शुरू कर दिए। यहां दो हफ्ते में कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला है।
वुहान में भी खुले स्कूल
सबसे पहले जनवरी में संक्रमण का केंद्र बने वुहान में भी मंगलवार को 2,840 स्कूल शुरू कर दिए गए, जहां 14 लाख बच्चे पढ़ते हैं। बच्चों का तापमान मापकर उन्हें हाथ धोने की तकनीक सिखाई जा रही है। शिनजियांग में अभी कई शहर लॉकडाउन में हैं।
बेल्जियम
हाई-रिस्क वर्ग के बच्चों के लिए अभी स्कूल नहीं
पांच वर्ष से बड़े बच्चों के लिए मंगलवार से स्कूल शुरू हुए। ऐसे बच्चों को स्कूल न आने को कहा गया है, जो हाई-रिस्क श्रेणी में हैं। अधिक संक्रमण वाले इलाकों से छुट्टियां मनाकर लौटे बच्चों को अभी 14 दिन क्वारंटीन रहने की सलाह दी गई है।
रूस: मास्क अनिवार्य नहीं
यहां मंगलवार को संक्रमितों की संख्या 10 लाख पहुंच गई। इसके बावजूद सुरक्षा उपायों के साथ स्कूल खोले गए हैं, लेकिन इनमें मास्क पहनने की अनिवार्यता नहीं है।
इंग्लैंड: बच्चों को नहीं भेजा तो अभिभावकों पर जुर्माना
देश के शिक्षा सचिव ने अभिभावकों को पत्र लिखकर कहा कि बच्चों के लिए स्कूल सबसे अच्छी जगह है। वास्तविक शिक्षक के साथ क्लास रूम में बैठकर पढ़ने से बेहतर कुछ नहीं है। यहां मास्क पहनना अनिवार्य नहीं है और बच्चों को स्कूल न भेजने पर अभिभावकों पर जुर्माना लग रहा है। पीएम बोरिस जॉनसन ने स्कूल शुरू करने को नैतिक कर्तव्य बताया।
स्पेन: इसी महीने शुरुआत की कोशिश
संक्रमण का हॉटस्पॉट कहे जा रहे स्पेन में भी इस माह से बच्चों को स्कूल भेजा जा रहा है। यहां पांच वर्ष से बड़े बच्चों को ही मास्क पहनने के लिए कहा जा रहा है।
स्कूल खोलने के पीछे मंशा
अमेरिका स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेस के जरिये चला रहा है। यूरोप में फेज-टू-फेज क्लासेस शुरू करने के पीछे यहां की सरकारों का लक्ष्य जन-जीवन को सामान्य करना है।
सरकारें दर्शाने का प्रयास कर रही हैं कि वायरस के बावजूद जीवन आगे बढ़ता रहेगा।
डब्ल्यूएचओ यूरोपीय सरकारों को सुझाव दे रहा है कि स्कूलों को कैसे सुरक्षित ढंग से शुरू करें। सोमवार को उसने वायरस को गंभीर खतरा मानते हुए यह भी कहा कि स्कूल बंद होने से बच्चों के सामाजिक व मानसिक विकास को नुकसान पहुंच रहा है।
चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस प्रयोग के बीच चेताया है कि जहां 10 वर्ष से छोटे बच्चों के जरिये संक्रमण फैलने का खतरा कम है, वहीं बड़े बच्चों से संक्रमण फैल सकता है।
बच्चों में संक्रमण भले ही कम फैले, लेकिन खुद उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने और मौत की घटनाएं भी बहुत हुई हैं।
फ्रांस के एक स्कूल ने एक बच्चे में संक्रमण मिलने के बाद सभी बच्चों को दो हफ्ते क्वारंटीन में रहने को कहा है।