एक तरफ कोरोना संक्रमण चरम की ओर बढ़ रहा है, दूसरी ओर खुशखबरी है कि स्वदेशी कोवैक्सीन का फेज वन ट्रायल सफल हो गया है। डब्ल्यूएचओ के नियमानुसार फेज वन वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल में शामिल वॉलंटियरों में कोरोना की फोर फोल्ड एंटीबॉडी मिली हैं। इसी सफलता के आधार पर दूसरे फेज के ह्यूमन ट्रायल को मंजूरी मिली है। अब देश भर के 12 संस्थानों में 12 से 65 आयु के वालंटियरों को यह वैक्सीन दी जाएगी।
पीजीआईएमएस में चल रही कोवैक्सीन की रिसर्च के को-इन्वेस्टिगेटर डॉ. रमेश वर्मा ने बताया कि पहले फेज में सफलता मिलने के बाद ही दूसरे फेज की मंजूरी मिल गई है। सोमवार को दूसरे फेज के ह्यूमन ट्रायल के लिए वॉलंटियरों को वैक्सीन दी जाएगी। दूसरे फेज में 380 को यह वैक्सीन दी जानी है। यह देश के 12 संस्थानों में शुरू होगा और उम्मीद कर रहे हैं कि पीजीआईएमएस रोहतक 40 से 50 वालंटियरों को इसमें शामिल करेगा।
पहले फेज में 375 वॉलंटियरों को यह डोज दी गई थी, इसमें से 81 अकेले पीजीआईएमएस रोहतक से थे। डॉ. वर्मा ने बताया कि पहले फेज के ट्रायल में सभी ठीक हैं, किसी को दाखिल करने की नौबत नहीं आई। कुछ वालंटियरों में हलका बुखार व दर्द की समस्या हुई, लेकिन वह ठीक हैं। पहले फेज में वॉलंटियरों की आयु 18 से 55 थी और दूसरे फेज में आयु 12 से 65 रखी गई है। कोई भी वालंटियर जो रिसर्च में शामिल होना चाहता है, वह 9416447071 पर संपर्क कर सकता है।
फोर फोल्ड एंटीबॉडी का मिलना ठीक
कोवैक्सीन में फोर फोल्ड एंटीबॉडी का मिलना ठीक है। इससे हम उम्मीद कर सकते हैं हमारा देश साल के अंत तक कोरोना को मात दे सकेगा। क्योंकि फोर फोल्ड एंटीबॉडी मिलने का मतलब है कि वैक्सीन में दी गई डोज के बाद चार गुणा वालंटियरों के शरीर में एंटीबॉडी बनी हैं जोकि कोरोना वायरस को हराएंगी।
कंपनियां कुछ समय बाद इस वैक्सीन को बनाना भी शुरू कर देंगी और जैसे ही इसे हरी झंडी मिलेगी, इसे उपलब्ध करा दिया जाएगा। हर कंपनी को पहले फेज के पूरा होने का इंतजार रहता है। गौरतलब है कि यह रिसर्च दिसंबर तक समाप्त होने की उम्मीद है। इसमें रिसर्चर को सिर्फ यह देखना है कि एंटी बॉडी कब तक बढ़ती हैं और कब तक इनका असर रहता है।
2020-09-06