वैसे तो भारत में बहुत सारे धार्मिक स्थल हैं, लेकिन उत्तर भारत के रोहतक में बाबा मस्तनाथ मठ नाथ और सिद्ध संप्रदाय का बहुत स्थान है। इस 300 साल से ज्य़ादा पुराने मठ में उत्तर भारत से लाखों श्रद्धालु हर साल आते हैं। ख़ासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ये मठ बहुत ही आस्था का प्रतीक माना जाता है।
हरियाणा के रोहतक में गांव अस्थल बोहर स्थित बाबा मस्तनाथ मठ की तपोभूमि कई महान योगी एवं तपस्वियों की स्थली रही है। करीब 350 साल पहले महाचौरंगी नाथ जी ने इस मठ की स्थापना की थी। बाद में इस मठ का जीर्णोद्धार बाबा मस्तनाथ ने किया था, जिन्हें बाबा गोरख नाथ जी का ही अवतार माना जाता है। वर्तमान में इस गद्दी पर महंत बालकनाथ योगी विराजमान हैं। उन्होंने बताया कि यह मठ आदिकाल से ही योगीजनों की तपस्थली रहा है और अनेक समय-अन्तरालों पर इस मठ के जरिये मानवता के उत्थान के बहुत से काम हुए हैं। अभी ये मठ एक आयुर्वेद कालेज भी चलाता है। जोकि बहुत ही मशहूर है।
माना जाता है कि बाबा मस्तनाथ के द्वार पर जो भी मांगा जाता है, वो पूरा होता है। इसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक मशहूर है। योगियों से अपनी परेशानी बताना और उसे दूर करने के उपाय पूछने का चलन हज़ारों सालों से चला आ रहा है। इस मठ में आकर लोग अपनी परेशानियों को दूर करने और जीवन बेहतर तरीके से जीने की प्रेरणा पाते हैं। इस ज्ञान गंगा में डुबकी लगाने और इस तपोभूमि के दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं। खासकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी को लगने वाले ‘बाबा मस्तनाथ मेले’ के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां आते है। करीब साढ़े 300 साल पुराना यह मठ नौ नाथ और चौरासी सिद्धों से सुसज्जित नाथ व सिद्ध संप्रदाय से जुड़ा है। इस संप्रदाय के आदि संस्थापक श्री गोरक्षनाथ जी को माना जाता है।
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी के दिन नाथ संप्रदाय के लिए जहां विशेष स्थान रखते हैं, वहीं बाबा मस्तनाथ जी में श्रद्धा रखने वाले भक्त इन दिनों में समाधिस्थल और उनके धूणे पर नमन करने पहुंचते हैं। इस वार्षिक मेले से पहले ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है। प्रचलित कथा के अनुसार बाबा मस्तनाथ का अवतरण कसरेटी गांव में सबला जी के यहां हुआ था। सबला जी को अपने काम के लिए ऊंटों पर सामान लादकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना पड़ता था। इसी दौरान एक बार उनकी भेंट गोरक्षनाथ जी से हुई। सबला की भक्तिभावना और श्रद्धा से प्रसन्न होकर गोरक्षनाथ जी ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और स्वयं ही योगबल से एक साल बाद उनके घर जन्म लिया और बाबा मस्तनाथ जी कहलाए। सिद्ध शक्तियों के चलते बाबा मस्तनाथ जी पूरे देश में प्रसिद्ध हुए। नाथ संप्रदाय के संत, महंत, तपस्वी व हठ योगी उनके समाधिस्थल पर आकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं गौरतलब है कि रोहतक महासिद्ध चौरंगीनाथ की तप स्थली पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह तपस्थली नाथ पंथ में एक महत्त्वपूर्ण गद्दी मानी जाती है। इस स्थान पर बाबा मस्तनाथ ने घोर तपस्या की और इसका जीर्णोद्धार करके ‘अस्थल बोहर मठ’ की स्थापना की। बाबा मस्तनाथ की कठोर तपस्या और सिद्धियों के कारण उन्हें ‘गोरखनाथ’ के अवतार की संज्ञा दी गई अक्षरधाम की तर्ज पर निर्माण मठ में स्थापित मंदिर को अक्षरधाम की तर्ज पर दोबारा बनाया जा रहा है। साल 2010 से निर्माण कार्य जारी है। बताया जा रहा है कि अगले वर्ष यह तैयार हो जाएगा। इस मंदिर में 9 नाथ और 84 सिद्धों की मूर्तियां लगाई जाएंगी।