उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले में पहला पक्षी संग्रहालय बनकर तैयार..खबर स्पेशल

harendra negi
पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहरए जताया पर्यटन विभाग का आभार
जिले में पाये जाने वाले तीन सौ पक्षियों की मिलेगी म्यूजियम में जानकारी
म्यूजियम में पक्षियों के साथ ही हिमालयन थार व बिना पूंछ वाले चूहे की भी मिलेगी जानकारी
रूद्रप्रयाग जिले की अपनी एक एैतिहासिक गौरब गाथा है। इस जनपद की तस्बीर को ऐसा संजो कर रखा गया हैं जो भी जनपद में आता है। जनपद का मुरीद हेा जाता हैं कहते हैं कि अगर पक्षी आसमान में विचरण नहीं करते तो आसमान भी और सुना हो जाता हैं और पक्षी का ये संसार अपने आप में अधूरा रहता है। रूद्रप्रयाग जनपद में हिमालय की गोद में रह कर भी अनेक सम्पदा और धरा से भरा हुआ हैं इसी में से एक हैं पक्षी संसार जहां आपको कई तरह के पक्षीयों का संसार का दीदार हो जायेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन पर्यटन विभाग की सुन्दर पहल से जिले में राष्ट्रीय पक्षी संग्रालय बन कर तैयार हो चुका है।
रुद्रप्रयाग जिला उत्तराखंड और देश के रमणीक स्थलों में एक है। यह क्षेत्र वन संपदा के साथ यहां विभिन्न प्रजाति के पशु.पक्षियों का संसार भी है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती है। जिले में तीन हजार फीट से लेकर उच्च हिमालय में 11 से 12 हजार फीट ऊंचाई तक रुद्रप्रयाग के पुनाड़ गदेरा क्षेत्र से लेकर मक्कूए मस्तूराए पलद्वाड़ीए काकड़ागाड़ए चिरबटियाए चोपता से लेकर तुंगनाथ तक विभिन्न प्रजातियों की पक्षियां पाई जाती हैं। यहां रेड हेडेड बुलफिंचए डार्क बिस्टेड रोजफिंचए स्त्रकालेट फिंचए पिंक ब्रॉड रोज फिंचए स्पॉट फिंचए हिमालयन ग्रीन फिंचए चीर फीजेंटए माउंटेन हॉक इगलए स्टेपी इगलए नट कैकरए हिमालयन गिद्धए यूरीशन ग्रीफॉनए यूरीशन जेए बर्फीला तीतर समेत तीन सौ से अधिक पक्षी प्रजातियां प्रवास करती हैं। ग्रीष्मकालए चैमास व सर्दियों में पक्षियों की इन प्रजातियों में कई निचले इलाके में आते हुए मैदानी क्षेत्रों तक भी पहुंच जाती हैं। बीते वर्ष दिसंबर माह में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग द्वारा बर्ड फेस्टिवल आयोजित किया गया था। इस दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे 11 पक्षी विशेषज्ञ एवं शोधार्थियों ने चिरबटियाए चैंडए रई खरक व रई झील के आसपास पक्षियों की चालीस नई प्रजातियों को चिन्हित किया था। पक्षी प्रेमी अशोक चैधरी एवं गौरव काला ने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर बनाया गया पक्षी संग्रहालय किसी मिसाल से कम नहीं है। यह रोजगार की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। उत्तराखण्ड में यह पहला पक्षी संग्रहालय हैए जिसमें पक्षियों की जानकारी मिलेंगी। जिले में विभिन्न प्रकार के पक्षी हैंए जिनकी जानकारी हमें भी नहीं है। ऐसे में यह संग्रहालय किसी चमत्कार से नहीं है। उन्होंने कहा कि जिले में बर्ड म्यूजियम से बर्ड वॉचिंग को बढ़ावा मिलने के साथ ही यहां मिलने वाली दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
पर्यटन विभाग की ओर से जिला मुख्यालय में भारत सरकार की प्रसाद योजना के तहत फिलेंड की लकड़ियों से 95 लाख की लागत से मेडिटेशन हाॅल और संग्रहालय बनाया गया है। योजना के तहत केदारनाथ यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों और जिले में प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों पर जाने वाले पर्यटकों को योगए ध्यान क्रियाएं कराने के लिए मेडिशन हाॅल बनाया गयाए जिससे टूरिस्ट यहां पर आकर कुछ समय मेडिटेशिन कर सकें और उन्हें जिले की अदभुत जानकारियां दी जा सके। मगर अब इस मेडिटेशन हाॅल में पर्यटन विभाग ने राष्ट्रीय स्तर का पक्षी संग्रहालय तैयार किया है। इस म्यूजियम में 80 से अधिक पक्षी प्रजातियों को संरक्षित किया गया हैए जो रुद्रप्रयाग नगर के आसपास के क्षेत्र में पाई जाती हैं। विभाग की इस अनूठी पहल से बर्ड वाचिंग के साथ ही पर्यटन को भी नया मुकाम मिलने की आस जगी है। पक्षी संरक्षण के लिए कार्य कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था ने भी जिले को पक्षी प्रवास के लिए विशेष स्थान दिया है। यह पर्यटन विभाग का शुरूआती कदम हैए जिसकी सराहना पक्षी प्रवास भी कर रहे हैं। जिले का मिनी स्विटजरलैंड चोपता भी बर्ड वाचिंग के लिए इंटरनेशल लेवल की जगह बन चुकी है। स्थानीय लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से म्यूजियम बनाया गया है। बता दें कि देश में 1300 प्रजातियों की पक्षियां मिलती है। बर्ड वाचर की माने तो इन प्रजातियों में तीन सौ प्रजातियां रुदप्रयाग में पाई जाती है। पर्यटन विभाग ने इन तीन सौ प्रजातियों में 80 प्रजातियों का कलेक्शन म्यूजियम में किया है। ये प्रजातियां चिरबटियाए तुंगनाथए चोपता में पाई जाती हैं। बर्ड वाचरों की माने तो जिला मुख्यालय के बीचो बीच बहने वाले पुनाड़ गदेरे में एक पक्षी ऐसा हैए जो देश में बहुत कम पाया जाता है। म्यूजियम में पक्षियों के अलावा हिमालयन थार और जिले के चोपता में पाए जाने वाल बिना पूंछ वाले चूहा जिसे रूंडा कहा जाता हैए की जानकारी भी पर्यटकों को मिलेगी।
पर्यटन अधिकारी सुशील नौटियाल ने कहा कि पक्षी प्रेमियों के लिए यह म्यूजियम किसी सोने की खान से कम नही है। पक्षी प्रेमी म्यूनियम को लेकर काफी खुश हैं। जिले में दुर्लभ प्रजाति के पक्षी रहते हैं। जानकारी के अभाव में लोगों को यह पता नहीं होता है कि यह पक्षी कौन सा है। इको टूरिज्म के जरिये पक्षियों को संरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यूनाइटेड किंगडम के कैंब्रिज से संचालित अंतरराष्ट्रीय संस्था बर्ड लाइफ इंटरनेशनल और उसकी सहयोगी बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी ने रुद्रप्रयाग जिले को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पक्षी एवं जैव विविधता वाली सूची में शामिल किया है। म्यूजियम में पक्षियों को देखने के बाद पर्यटकों की पक्षियों को सजीव रूप में देखने को इच्छा होगी। ऐसे में पर्यटकों के लिए पैकेज सिस्टम रखा जायेगा और गाइड के जरिये उन्हें सभी जानकारियां दी जायेंगी।

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  1. Nice article Mr Negi but you have to to put more inputs regarding museum. Concept is same before we are going to two make it interpretation centre Now we r going to Mack it with interpretation and museum .

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