सीएए के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने वालों की कोशिश लंबे समय तक इस धरने-प्रदर्शनों को चलाने की थी और इसके लिए वो शाहीन बाग मॉडल अपना रहे थे। जिसमें कई महत्वपूर्ण रास्तों को बंद कर दिया जाए। सरकार के खिलाफ भाषण देने और लोगों को भड़काने के लिए इनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद, बृंदा करात और उदित राज जैसे नेताओं को बुलाया जाता था। ताकि ये बड़े चेहरे आम लोगों को भड़काऊ भाषण देकर गुमराह करें। दिल्ली पुलिस ने यह दावा दिल्ली दंगों के मामले में दाखिल आरोप पत्र में इशरत जहां और खालिद सैफी तथा सुरक्षित गवाह के बयानों के आाधार पर किया है। इन प्रदर्शनों के बाद दिल्ली में दंगे हो गए जिसमें 53 लोग मारे गए थे।
कड़कड़डूमा अदालत में दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। इसके मुताबिक पूर्व कांग्रेसी पार्षद इशरत जहां तथा सुरक्षित गवाह के बयानों का हवाला देते हुए कहा है कि इन्होंने अपने बयानों में इन बड़े नेताओं के भड़काऊ भाषणों का जिक्र किया है। उदित राज, खुर्शीद और करात जैसे कई बड़े नेता और जेएनयू का पूर्व छात्र नेता उमर खालिद खुरेजी धरना स्थल पर आते थे और वहां सीएए तथा एनपीआर के खिलाफ भाषण देते थे। इन भाषणों के जरिए वहां लोगों को इक्कठा किया जाता था और उन्हें सड़क पर बैठनें के लिए प्रेरित किया जाता था।
वहीं आरोप पत्र में यह भी कहा गया है कि इशरत जहां ने अपने इकबालिया बयान में कहा है कि सीएए के खिलाफ धरने को लंबा खींचने के लिए जामिया कॉर्डीनेशन कमेटी (JCC) ने कहा था। इसी वजह से उन्होंने सलमान खुर्शीद, फिल्मकार राहुल रॉय, भीम आर्मी सदस्यों हिमांशु, चंदन कुमार जैसे नेताओं को यहां बुलाया था। ये लोग लगातार यहां आते रहे और भड़काउ भाषण देते रहे। इससे लोग सरकार के खिलाफ हो गए।
खालिद सैफी के इकबालिया बयान में कहा है कि जनवरी 2020 में सीएए विरोधी धरने में स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, खुर्शीद इन भाषणों में आते थे। JCC के धरने को लंबा खींचने के लिए कहने के बाद ही उन्होंने खुर्शीद, शरजील इमाम, जेसीसी के सदस्य मीरान हैदर को खुरेजी धरना स्थल पर बुलाया गया था। ताकि बैठे हुए लोगों को लंबा बिठाया जा सके। गौरतलब है कि इसके बाद सड़कों पर लगे जाम को खुलवाने के चक्कर में धरने पर बैठे लोग भड़क गए और दंगा हो गया। इस दंगे में 53 लोग मारे गए।
2020-09-24