पुनर्जीवित होने लगे हैं पहाड़ में दम तोड़ते घराट (Cold press wheat mill)

हरेन्द्र नेगी
खास खबर .

लाॅक डाउन में घर लौटे युवाओं ने जीर्ण.शीर्ण घराटों का किया ट्रीटमेंट
घराट के आटे की इंटरनेशनल डिमांडए स्वास्थ्य के लिए है लाभदायक
कहतें मनुष्य (Human) और प्रकृति (Nature) में हमेशा बदलाव आता आया हैं और आता रहेगा ऐसा ही एक ऐसी ही एक पौराणाकी धरोहर जिसे पहाड़ी (Hills) भाषा में घराट कहते है। जो बदले समम के अनुसार दम तोड़ती जा रही हैं पुरानी परम्परा उन्हे जीवन दान दिया है लाॅक डाॅउन में प्रवासी उत्तराखण्ड़ीयों ने ।
रुद्रप्रयाग। पहाड़ में दम तोड़ते पौराणिक घराट अब पुनर्जीवित होने लगे हैं। इन घराटों के महत्व को युवा पीढ़ी समझ रही है और इसे रोजगार का जरिया बना रहे हैं। पौराणिक काल में घराट पर ही गेूहं को पिसा जाता था। यह पानी से चलने वाली चक्की ( water Wheat mill )है और इससे पिसा गया गेहूं खाने में भी काफी स्वादिष्ट होता है। घराट के आटे की इंटरनेशनल डिमांड (International Demand) है। इस आटे को कोल्ड प्रेस (Cold press) की कैटेगरी में जाना जाता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से यह काफी लाभदायक है।
बता दें कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण जिले के हजारों लोगों ने अपने गांवों (Village) की ओर रूख किया हैए जबकि स्कूलें (Schools) बंद होने से छात्र घर बैठे हुए हैं। रोजगार को लेकर जहां युवा भटक रहे हैं। वहीं कुछ युवा ऐसे भी हैं जो अपनी पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन करते उन्हें रोजगार का जरिया बना रहे हैं। जिले के रानीगढ़ पट्टी और सिलगढ़ पट्टी में युवा पौराणिक घराट को पुनः जीवित करने में लगे हुए हैं। उन्हें यह घराट चलाना काफी पसंद आ रहा है। इसमें बिजली का कोई प्रयोग नहीं किया जाता है और इससे गेहूं को आसानी से पीसा जाता है। आमदमी के मामले में घराट काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा हैए जिससे युवा इसे रोजगार से जोड़कर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला रहे हैं।
कोरोना काल के कारण जिले में हजारों युवा बाहरी शहरों से अपने गांवों को लौटे हैं। ये युवा सरकारी विभागों से लेकर प्राईवेट कंपनियों के चक्कर लगा रहे हैं और रोजगार की तलाश में जुटे हुए हैंए मगर कुछ युवा अपनी विरासत को संभालने का काम करने लगे हैं और दूसरों के लिए मिसाल बने हुए हैं। पहाड़ी जिलों में कृषिए पशुपालनए डेयरी से रोजगार चलाया जा सकता है। इसके अलावा यहां कोई ऐसा साधन नहीं हैए जिससे लोग अपनी आजीविका को सुधार सकें। खेती करने में युवाओं की कोई खास दिलचस्पी नजर नहीं आ रही हैए जबकि कुछ युवा ऐसे भी हैं जो बकरीए भेड़ए मुर्गी पालन को पसंद कर रहे हैं और कुछ ऐसे हैं जो गाय, भैंस को रोजगार का जरिया बना रहे हैंए मगर इन सबसे अलग ऐसे युवा भी हैं जो अपनी हजारों वर्षो पुरानी विरासत को फिर से पुनजीर्वित करने में लगे हुए हैं और अन्य लोगों के लिए भी मिसाल बन रहे हैं। रानीगढ़ पट्टी निवासी पर्यावरण प्रेमी देव राघवेन्द्र बद्री की माने तो पौराणिक घराट का काफी महत्व है। यह रोजगार के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इस पर बिजली का कोई खर्चा नहीं हैए जबकि पानी से चलने वाला इस यंत्र से लोगों को भी काफी फायदे मिलेंगे। उन्होंने बताया कि पौराणिक काल में घराट में पिसा गेंहू और मंडवा पीसा जाता है। पहले के लोग काफी चुस्त दुरूस्त रहते थेए मगर अब बिजली के मशीनों से पीसा जा रहा गेहूं से काफी बीमारी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि रानीगढ़ पट्टी में युवाओं ने जीर्ण.शीर्ण घराटों को पुनः संरक्षित करने का काम किया है। कहा कि घराट उत्तराखण्ड संस्कृति का हिस्सा है। पानी से चलने वाली चक्की हैए जिसमें हमारे पूर्वज गेहूं पिसा करते थे। बताया कि घराट के आटे की इंटरनेशनल डिमांड है। इस आटे को कोल्ड प्रेस आटे की कैटेगरी में जाना जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि यह काफी महत्वूर्ण है। बताया कि रानीगढ़ पट्टी के लदोलीए द्यूलीए खरखोटा में तीन घराट लगाये गये हैं। क्षेत्र के ग्रामीण इन घराटों में आकर गेहूं को पीसवा रहे हैं। उन्हें इससे पिसे गेहूं के आटे से काफी फायदे मिल रहे हैं और अपनी पौराणिक चीजों को देखकर ग्रामीण खुश नजर आ रहे हैं। जखोली विकासखण्ड के जैली कंडाली गांव निवासी अमित भट्ट ने बताया कि वह ग्यारहवीं का छात्र है और लाॅक डाउन के कारण उनकी स्कूल बंद हंै। घर में खाली बैठकर समय बर्बाद हो रहा था। ऐसे में लाॅक डाउन का फायदा उठाते हुए जीर्ण.शीर्ण घराट को सही किया गया। अब लोग घराट में गेहूं और मंडुवा पीसाने को आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली की चक्की से पिसे गए आटे से लोगों का मोहभंग होता जा रहा है।
घराट में पीसे गेहूं से फायदे .
घराट प्रकृति से निर्मित चक्की है। इसमें पिसे हुए अनाज के पोषक तत्व जलते नहीं हैं। पानी से चलने वाले घराट से आटा ठंडा रहता है। यह आटा फाइबर युक्त है। पोषक तत्व आटा है। यह पाचन तंत्र के लिए लाभदायक है। घराट के आटे की इंटरनेशनल डिमांड है। इस आटे को कोल्ड प्रेस आटे की कैटेगरी में जाना जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि यह काफी महत्वूर्ण है। कोरोना काल में घर लौटे युवा पौराणिक टेक्नोलाॅजी का उपयोग करने में लगे हैंए जो भविष्य के लिए शुभसंकेत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *