Loan moratorium पर दो करोड़ तक के कर्ज पर लगा ‘ब्याज पर ब्याज’ माफ होगा
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) और व्यक्तिगत उधारकर्ताओं के लिए राहत भरी खबर है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ( SUPREME COURT) को बताया कि वह मोरेटोरियम अवधि (MORATORIUM PERIOD) (मार्च से अगस्त तक) के दौरान ब्याज पर ब्याज (INTEREST ON INTEREST) को माफ करने के लिए तैयार हो गई है।
ये राहत दो करोड़ रुपये तक के लोन (LOAN) पर मिल सकती है।
किस किस को फायदा
ब्याज माफी एमएसएमई (MSME) व शैक्षिक (EDUCATION LOAN), होम लोन (HOME LOAN), कंज्यूमर ड्यूरेबल ( CONSUMER DURABLE), ऑटो (AUTO), क्रेडिट कार्ड (CREDIT CARD) बकाया, पेशेवर (PROFESSIONAL) और उपभोग (CONSUMPTION) द्वारा लिए गए कर्ज के लिए लागू होगी।
सरकार खुद खर्चा उठाएगी
कोरोना वायरस (CORONA VIRUS) महामारी के समय में, ब्याज की छूट के भार का वहन सरकार करेगी और उपयुक्त अनुदान के लिए संसद से अनुमति मांगी जाएगी।
पांच अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ( SUPREME COURT) में सुनवाई
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ( SUPREME COURT) ने लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान ऋण के ब्याज पर ब्याज लेने के खिलाफ दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पांच अक्तूबर यानी सोमवार के लिए स्थगित की थी।
बिगड़ सकती है बैंकों की हालत
आरबीआई (RBI )ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर वह कर्ज किस्त के भुगतान में राहत के हर संभव उपाय कर रहा है। लेकिन जबरदस्ती ब्याज माफ करवाना उसे सही निर्णय नहीं लगता है क्योंकि इससे बैंकों की वित्तीय स्थिति बिगड़ सकती है। इसका खामियाजा बैंक के जमाधारकों को भी भुगतना पड़ सकता है।
रिजर्व बैंक ( RBI )ने किस्त भुगतान पर रोक के दौरान ब्याज लगाने को चुनौती देने वाली याचिका का जवाब देते हुए कहा था कि उसका नियामकीय पैकेज, एक स्थगन, रोक की प्रकृति का है, इसे माफी अथवा इससे छूट के तौर पर नहीं माना जाना चाहिए।
केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (SOLICITOR GENERAL) तुषार मेहता ने पहले कहा था, ‘बैंकिंग क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, हम ऐसा कोई भी निर्णय नहीं ले सकते हैं जो अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकता है। हमने ब्याज माफ नहीं करने का फैसला लिया है लेकिन भुगतान के दबाव को कम किया जाएगा।’