CBI: महाराष्ट्र ने एजेंसी को किया राज्य से बाहर

पहले सुशांत मामले में बिहार सरकार और टीआरपी घोटाले में उत्तर प्रदेश सरकार के CBI  जांच से परेशान महाराष्ट्र सरकार ने  अब महाराष्ट्र से सीबीआई मामलों में जांच का अधिकार ही ले लिया है। सीबीआई मामलों में राज्यों को ये अधिकार है कि वो सीबीआई के केंद्र कानून को वापस ले ले। इसके बाद अब सीबीआई राज्य में जांच नहीं कर पाएगी।

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक महाराष्ट्र से टीआरपी घोटाले में केंद्र सरकार को जांच से दूर करने के लिए ये कदम उठाया है। उत्तर प्रदेश के टीआरपी मामले में जांच सीबीआई को देने के बाद महाराष्ट्र ने कदम उठाया है। अब टीआरपी घोटोले में सीबीआई राज्य में बिना मंजूरी के नहीं आ सकेगी।

दरअसल 6 अक्टूबर को एक एफआईआर के बाद, मुंबई पुलिस ने आरोप लगाया था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनल टीआरपी में हेरफेर करने में शामिल थे। इसके बाद रिपब्लिक टीवी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, रिपब्लिक टीवी के वकील हरीश साल्वे ने मामले को सीबीआई को देने को कहा। पहले भी सीबीआई सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की जांच कर रही है। जोकि मुंबई पुलिस कर रही थी। इसमें मुंबई पुलिस और राज्य सरकार की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है। इस मामले में भी बिहार पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, इसके बाद बिहार सरकार ने मामला सीबीआई को दिया था। बुधवार के फैसले का मतलब है कि केंद्रीय एजेंसी सीबीआई को अब महाराष्ट्र के हर मामले के लिए राज्य सरकार से सहमति लेनी होगी। “दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत महाराष्ट्र सरकार ने ये फैसला लिया है।

सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम के तहत स्थापित हुई है। इस एजेंसी से जांच करवाने के लिए एक राज्य सरकार की सहमति जरूरी है। चूंकि सीबीआई के पास केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर अधिकार क्षेत्र है, यह राज्य सरकार के कर्मचारियों या किसी राज्य में हिंसक अपराध से संबंधित मामले की जांच तभी कर सकती है जब सरकार संबंधित सहमति देती है।

सूत्रों ने कहा कि यूपी में दर्ज टीआरपी के मामले में सीबीआई ने “टिपिंग पॉइंट” लिया था, जिसके कारण महाराष्ट्र का फैसला हुआ था। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह आशंका थी कि केंद्रीय एजेंसी टीआरपी घोटाले की जांच मुंबई पुलिस को सौंप देगी।”

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