कोरोना संकट के समय किसानों के आंदोलन (Farmers protest in corona time) को भड़काने और उन्हें दिल्ली जाने के लिए उकसाने की कोशिशों में कांग्रेस (Congress and other parties pushing farmers for protest)और अन्य विपक्षी दल लग गए हैं। किसानों को उस समय दिल्ली भेजने की कोशिश की जा रही है। जबकि दिल्ली में कोरोना दोबारा तेज़ी से फैल रहा है। दरअसल पंजाब (Punjab) में आंदोलन पर बैठे किसानों की वजह से पंजाब में आवश्यक सामानों की सप्लाई नहीं हो पा रही थी। लिहाजा राज्य सरकार ने किसानों को वहां से उठाकर दिल्ली की ओर भेज दिया है। जहां बाकी विपक्षी पार्टियों ने भी इसमें अपना योगदान दिया है। इसी वजह से पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली चलो अभियान में जुड़ गए हैं।
पंजाब में धरने से उठकर किसान दिल्ली क्यों चले
दरअसल पिछले कुछ दिनों तक अपनी मांगों को लेकर किसान पंजाब में रेल और सड़क यातायात रोके हुए थे। इसकी वजह से पंजाब के बिजली घरों में कोयला, पेट्रोल-डीजल और अन्य आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई काफी कम हो गई थी। साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी आवश्यक वस्तुओं की सीमित सप्लाई रह गई थी। इस बारे में पंजाब सरकार के मंत्री और अधिकारी लगातार केंद्र सरकार से बात कर रहे थे। बाद में कोई और चारा ना देख अमरिंदर सिंह सरकार ने उन किसानों को पंजाब से तो हटा दिया। लेकिन उन्हें समझाकर दिल्ली की ओर भेज दिया, इसके साथ ही हरियाणा के किसानों और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों को भी इस मुहिम में जोड़ दिया।
इस दौरान भारी संख्या में किसान जुट रहे हैं और सामाजिक दूरी और मास्क का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
कोरोना प्रोटोकॉल की अनदेखी
ऐसे में अगर कोरोना का संक्रमण तेज़ी से बढ़ता है तो इसका नुकसान किसानों के साथ साथ देश को भी होगा। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला पानीपत में किसानों की भीड़ के बीच बिना मास्क के देखे जा सकते हैं। कांग्रेस और स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव किसानों को रास्ता रोकने के लिए प्रेरित करते हुए साफ देखे जा रहे हैं। कोरोना काल में जब लोगों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस व्यस्त हैं, ऐसे में दिल्ली और पूरे एनसीआर के रोड़ किसान जाम कर रहे हैं।