सरकार और किसानों के बीच बातचीत फेल हो गई है। किसानों ने सरकार से बातचीत का न्यौता अस्वीकार कर दिया है। सरकार के रूख पर रविवार सुबह किसानों के आंदोलन की मैनेजमेंट कमेटी ने बैठक की और सरकार की बातचीत के न्यौते को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद किसानों के एक जत्थे ने नरेला के रास्ते दिल्ली की ओर कूच कर दिया है। इस जत्थे को पुलिस ने दोनों तरफ से घेर लिया। दूसरी ओर किसानों के एक अन्य ग्रुप के नेता बलदेव सिंह सिरसा ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया कि वो (किसान) किसी हाल में बुराड़ी नहीं जाएंगे। सिरसा ने कहा कि हमारे 30 संगठन मिल कर फैसला ले रहे हैं। हमने फैसला लिया है कि किसानों का धरना जारी रहेगा।
सरकार की ओर से आए पत्र के जवाब में किसानों ने भी सरकार को इसका लिखित जवाब दिया है। इसमें कहा गया है कि वो बिना बुराड़ी जाए बॉर्डर पर धरना जारी रखेंगे और अगले 15 दिनों में दिल्ली को पांचों तरफ से घेर लेंगे। दूसरी ओर राजनैतिक दलों ने किसानों को लुभाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक ट्विट कर कहा कि केंद्र सरकार बिना शर्त किसानों से बात करनी चाहिए। हालांकि इन प्रलोभन से वाकिफ किसानों ने यह भी साफ कर दिया है कि किसी भी राजनीतिक शख्स को वो अपने मंच पर जगह नहीं देंगे।
इस बीच काफी बड़ी संख्या में किसान टिकरी बार्डर के दोनों और पहुंच गए हैं। यानि हरियाणा की तरफ भी किसान खड़े हैं और दिल्ली की ओर भी किसान गांवों के रास्ते पहुंच गए। इससे दिल्ली पुलिस बेबस सी दिख रही थी।
किसानों ने क्यों अमित शाह का न्यौता ठुकराया
दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को कहा था कि सरकार उनसे बातचीत करना चाहती है। लेकिन इसके लिए उन्हें धरना स्थल दिल्ली के बुराड़ी में स्थित संत निरंकारी मैदान पहुंचना होगा। लेकिन किसानों के मुताबिक इस न्यौते में एक शर्त जुड़ी है। लिहाजा इस बातचीत में वो शामलि नहीं हों।
सरकार की आपातकालीन बैठक
किसानों के बातचीत का न्यौता ठुकराने और धरना जारी रखने के ऐलान के बाद बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा के घर एक आपातकालीन बैठक हुई। इसमें बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड़्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक बैठक में किसानों के बातचीत में शामिल नहीं होने के बाद की स्थितियों पर चर्चा की गई।