Kisan Andolan सरकार के बातचीत के न्यौते को किसानों ने स्वीकार कर लिया है, लेकिन शर्तों के साथ। दरअसल सरकार की ओर से किसानों के साथ बातचीत के लिए बार बार अपील हो रही थी। कृषि मंत्रालय की ओर से किसानों को बातचीत के लिए लिखित में न्यौता भी भेजा था। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में किसानों से बातचीत के लिए कहा था। अब किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की शर्त के साथ सरकार से बातचीत की तारीख तय की है। किसानों ने सरकार से 29 दिसंबर 11 बजे बातचीत का प्रस्ताव दिया है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि बताया कि अगली बैठक 29 दिसंबर को होगी, इस बाबत हमने सरकार को चिट्ठी भेज दी है। चिट्ठी में सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वो किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। किसान अपने पूरे प्रचार तंत्र का इस्तेमाल किसानों के खिलाफ दुषप्रचार में कर रही है। लिहाजा सरकार को ये बंद करना चाहिए। किसानों की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा ने चिट्ठी में लिखा है कि खुले मन से सरकार से बातचीत के लिए तैयार है।
आंदोलन में रोज़ रोज़ किसान संगठन विशेषकर लेफ्ट के संगठन मीडिया में छपने के लिए नए नए प्रयोग कर रहे हैं। कभी वो अर्धनग्न अवस्था में प्रदर्शन करते हैं तो कभी उपवास शुरू करते हैं, इसी कड़ी में अब वो 30 दिसंबर को ट्रैक्टर मार्च की बात कर रहे हैं।
RLP ने NDA का साथ छोड़ा
उधर दूसरी ओर एनडीए की एक ओर पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) एनडीए से अलग हो गई है। इससे पहले कृषि बिल के मुद्दे पर अकालियों ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था। आरएलपी के नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि वे गठबंधन से फेविकॉल से नहीं चिपके हैं, हमने किसानों से किया गया वादा निभाया है। किसानों के समर्थन में बेनीवाल अपने साथ राजस्थान के हजारों किसानों और RLP के कार्यकर्ताओं को लेकर दिल्ली रवाना होंगे।