Farmers protest: सरकार और किसानों के बीच जो गतिरोध पिछले लगभग एक महीने से कायम था और पिछले सात दौर की बातचीत भी जिसे नहीं तोड़ पाई थी। वो गतिरोध लंगर पर जाकर टूट गया। दरअसल मोदी सरकार (Modi government) के मंत्रियों और किसानों के बीच पिछली लगातार सात बैठकों में किसानों ने सरकार की चाय तक पीने से परहेज किया है। इसी तरह बुधवार की बैठक में भी किसानों ने ना तो सरकारी चाय पी और नही सरकार का कुछ खाया। लेकिन इस बार मोदी सरकार के तीनों मंत्री केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendra Singh Tomar), पीय़ूष गोयल (Piyush Goel) और सोम प्रकाश (Som Prakash) बिना बताए ही किसानों के साथ उनके लंगर में पहुंच गए। जहां उन्होंने लंगर का प्रसाद ग्रहण किया। यहीं मंत्रियों ने भी किसानों के साथ बैठकर लंच किया और आगे की अनौपचारिक बातचीत भी की।
इसी बातचीत के दौरान दोनों पक्षों में पहली बार परस्पर भरोसे में बातचीत हुई। इस दौरान मंत्रियों के साथ किसान नेता हंसी मज़ाक करते हुए भी नज़र आए और गंभीर विषयों पर भी चर्चा चलती रही। इसके बाद जब बैठक शुरू हुई तो किसानों ने दो मुद्दों पर अपनी सहमति जता दी। एक किसान नेता ने बताया कि “ लंगर के दौरान हम सभी के साथ तीनों मंत्रियों ने बैठकर लंगर खाया। इससे किसान संगठनों के नेताओं को एक भरोसा आया। इसी के बाद अगले राउंड की बातचीत में कई मुद्दों पर सहमति बन गई”।
कुछ किसान नेता बातचीत तोड़ने जुटे
हालांकि किसान संगठनों के बीच आपसी टकराव की ख़बरें तो अभी तक सामने नहीं आई हैं। लेकिन बातचीत से पहले लेफ्ट प्रभाव वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के पास अपने एजेंडा वाला एक पत्र भेजकर बातचीत पर ग्रहण लगाने की पूरी कोशिश की। चिट्ठी में लिखा गया था कि वे इन मुद्दों पर चर्चा केंद्रित करेंगे। उस पत्र में लिखा गया था कि नए कृषि कानूनों को रद्द करना होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की लीगल गारंटी देनी होगी। इस पत्र में अडि़यल भाषा लिखी गई थी। इसको लेकर बातचीत फेल होने की आशंकाएं बढ़ गई थीं। इसके बावजूद सरकार के मंत्री किसान नेताओं को समझाने में कामयाब हो गए। साथ ही उन्हें वास्तविक तथ्यों से भी अवगत कराया गया।
बैठक के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि नए कृषि कानूनों (New Agriculture Law) बनाने की कोशिश पिछले 25-30 सालों से चल रही है। इसलिए इन कानूनों को हटाने में भी समय लगेगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का प्रस्ताव भी सरकार की ओर से किसान संगठनों को दिया गया। इसपर किसान संगठन विचार करेंगे।