Kisan update: तीनों कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच सातवें दौर की बातचीत सोमवार को होनी है। इससे पहले छठें दौर की बातचीत में सरकार और किसानों के बीच चार में से दो मुद्दों पर सहमति बन गई थी। लेकिन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर किसान अड़े हुए नज़र आते हैं। आज की बैठक में सरकार को उम्मीद है कि इसमें कोई हल निकल सकता है। कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि उम्मीद है कि आज मामला हल हो जाएगा और आंदोलन समाप्त होगा। हालांकि किसानों ने कहा है कि अगर आज की बैठक में कोई समाधान नहीं निकला तो वो 6 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।
धरना स्थल पर भीड़ हुई कम
धरना स्थल पर सर्दी का असर देखा जा रहा है। इससे पहले धरना स्थल पर ख़ासी संख्या में लोग पहुंचते थे। लेकिन अब इसमें धीरे धीरे कमी आ रही है। नए साल के दिन किसान संगठनों ने लोगों से धरना स्थल पर पहुंचने की अपील की थी। लेकिन इस अपील के बावजूद भी बहुत कम लोग यहां पहुंचे थे। इसको देखते हुए अब किसान संगठन ख़ासकर लेफ्ट के संगठन अन्य राज्यों से अपने काडर को यहां बुला रहे हैं।
किसान संगठनों में दरार
किसान संगठनों के बीच अब आंदोलन को आगे बढ़ाने को लेकर दरार साफ नज़र आने लगी हैं। आंदोलन पर बैठे लोगों को कुल मिलाकर 40 दिन हो चुके हैं और सर्दी और अन्य परेशानियों के कारण 54 किसानों की मौत भी इस आंदोलन में हो चुकी है। इसी कारण से जहां किसान संगठनों में से अधिकांश बीच के रास्ते की बात कर रह हैं। वहीं लेफ्ट, कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पार्टी से संबंधित किसान संगठन इस आंदोलन को कृषि कानूनों की वापसी तक लड़ने का दबाव बनाए हुए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्य बलबीर सिंह राजे वाल (आप समर्थक), दर्शन पाल (PDFI संस्थापक), गुरनाम सिंह चढ़ूनी (आम आदमी पार्टी, पंजाब), जगजीत सिंह डल्लेवाल और योगेंद्र यादव (आम आदमी पार्टी के संस्थापक) ने तो बातचीत के नतीजे पर विचार किए बिना ही अगले एक महीने तक के कार्यक्रम घोषित कर दिए हैं। उन्होंने छह जनवरी को KMP (कुंडली-मानेसर-पलवल) एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर मार्च किया की घोषणा भी की है।