Farmer Protest Update: जैसा कि आशंका थी किसानों और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। इस बार बातचीत के दौरान दोनों पक्षों में भारी तनाव रहा। किसानों संगठनों के नेताओं ने शुरू से ही सरकार पर कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाया हुआ था।
बातचीत खत्म होने के बाद निकले एक किसान नेता ने बताया कि बातचीत मुश्किल से दो घंटे ही चल पाई। इस दौरान माहौल सामान्य नहीं रहा, किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए थे। इससे बातचीत स्थगित हो गई। अब अगले दौर की बातचीत 15 जनवरी को होगी। किसान संगठनों के नेता न तो सरकार के प्रस्ताव पर बातचीत के लिए तैयार हुए और न ही कोई और विकल्प पेश कर पाए। सरकार की ओर से इन सभी मुद्दों पर विशेषज्ञ समिति के गठन की बात कही गई, जिसे किसान नेताओं ने मान कर दिया। वे कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी वाला कानून बनाने की मांग पर ही अड़े रहे।
दूसरी ओर, सरकार ने कहा कि विभिन्न राज्यों के किसान संगठनों ने कृषि कानूनों का स्वागत किया है। किसान नेताओं को देश का भी ध्यान रखना चाहिए। किसान नेताओं ने बातचीत के दौरान एक बार फिर पोस्टर दिखाए। उन्होंने लड़ेंगे-जीतेंगे या मरेंगे, यहीं लड़ेंगे-यहीं मरेंगे जैसे नारे लिखे पोस्टर दिखाएं। हालांकि बैठक समाप्त होने के बाद बाहर आए किसान नेताओं ने बातचीत विफल होने की तोहमत सरकार पर लगाई। दूसरी ओर सरकार ने साफ किया कि उनकी ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया कि कानूनों के प्रावधानों पर एक-एक कर चर्चा होनी चाहिए। जिन प्रावधानों पर आपत्ति होगी, उन पर बातचीत हो सकती है। लेकिन किसान संगठन उस पर तैयार ही नहीं हुए।