#FarmersProtest: अभी तक किसान आंदोलन के अगवा रहे किसान नेता आज के उपद्रव के समय पूरे सीन से ही गायब रहे, इससे आशंका बढ़ गई है कि किसान नेताओं को पहले से ही पता था कि हिंसा हो सकती है, लिहाजा उनको कोई नुकसान ना हो, इसलिए वो पहले ही सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे। इस पूरे आंदोलन में मीडिया को ब्रीफ करने वाले योगेंद्र यादव ट्रैक्टर रैली के समय दिल्ली से दूर राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर चले गए। दूसरी ओर 1000 किसानों के मारे जाने का बयान बार बार देने वाले राकेश टिकैत भी कहीं नज़र नहीं आए। दोपहर को उनका जरूर एक संदेश दिखाई दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि इस रैली में कुछ उपद्रवी घुस आएं हैं।
दरअसल दिल्ली पुलिस और किसान नेता योगेंद्र यादव, बलदेव सिंह राजेवाल, हन्नान मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, दर्शनपाल, शिवकुमार शर्मा कक्का जी सहित गुरनाम सिंह चढ़ूनी के बीच छह दौर की बातचीत हुई। इसमें इन सभी नेताओं ने ट्रैक्टर रैली के लिए तीन रूट्स पर सहमति जताई थी। साथ ही दिल्ली पुलिस की सभी हिदायतों को मानने का भरोसा भी दिया था। लेकिन आज सुबह से ही ये सारे नेता गायब हो गए थे। जिस ट्रैक्टर रैली के लिए ये नेता इतने अड़े हुए थे, उसे रैली में इनमें से कोई नेता नज़र नहीं आया।
दरअसल गणतंत्र दिवस पर राजधानी में हिंसा और अराजकता के लिए किसान नेता ही जिम्मेदार हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ छह दौर की वार्ता के बाद तीन रूट तय किए थे। सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बार्डर से दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर परेड के लिए तीनों रूट भी खुद किसान संगठनों ने दिए थे, मगर किसान नेता उपद्रवियों को रोकने की जगह सुबह से ही गायब हो गए थे। जैसे कि उन्हें मालूम था कि क्या होने वाला है। दिल्ली पुलिस के साथ वार्ता में किसान संगठनों ने अपनी तरफ से तीनों रूट पर ट्रैक्टर परेड में व्यवस्था बनाए रखने के लिए पांच हजार कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपने की बात कही थी, लेकिन ये कार्यकर्ता भी कहीं नजर नहीं आए।