#FightInKisanMorcha: ऐतिहासिक लाल किले पर तिरंगे के स्थान पर दूसरा झंडा लगाए जाने और गणतंत्र दिवस पर उपद्रव फैलाने के मामले में अब किसान मोर्चा के लोग एक दूसरे को दोषी ठहराने में लग गए हैं। जहां योगेंद्र यादव और बाकी नेताओं ने दीप सिंद्धू और नरेश टिकैत को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं दीप सिद्धू ने कहा है कि आप लोगो ने ही पंजाब से नौजवानों को दिल्ली मार्च के लिए बुलाया था, जब वो आगे बढ़े तो आप अब अपनी बातों से मुकर रहे हो। सिद्धू ने कहा कि जब 25 जनवरी को रात को हालात खराब हो रहे थे तो ये नेता चुपचाप से वहां से निकल गए।
दीप सिद्धू का पूरा भाषण:
बुधवार देर रात एक फेसबुक लाइव में सिद्धू ने कहा कि मुझे इसलिए लाइव आना पड़ा, क्योंकि मेरे खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है। बहुत कुछ झूठ फैलाया जा रहा है। मैं इतने दिनों से यह सब पी रहा था, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि हमारे साझा संघर्ष को कोई नुकसान पहुंचे, लेकिन आप जिस पड़ाव पर आ गए हैं वहां कुछ बातें करना बहुत जरूरी हो गया है।
पहली बात तो यह कि 25 तारीख की रात को नौजवानों ने मंच पर रोष जताया था, क्योंकि उन्हें पंजाब से दिल्ली में परेड करने का कह कर ही बुलाया गया था। इसके लिए बार-बार मंच से बड़े-बड़े ऐलान और वादे किए गए थे। लेकिन जब ये नौजवान पंजाब से दिल्ली आ गए तो इन्हें सरकार के तय रूट पर चलने के लिए कहा जा रहा था, इसके लिए ये नौजवान तैयार नहीं था। रोष जता रहे नौजवानों ने कहा कि जब हम दिल्ली आ गए तो आप हमें सरकार की ओर से तय किए गए रूट पर जाने के लिए कह रहे हैं जो हमें मंजूर नहीं है।
सिद्धू ने वीडियो में कहा कि उस दौरान मंच पर हालात ऐसे बन गए थे की अगुआई कर रहे किसान नेता वहां से किनारा कर गए। उसके बाद मुझे निहंगों की जत्थे बंदियों ने हालात खराब होने का कहते हुए वहां बुलाया मैंने वहां मंच पर जाकर किसान नेताओं का समर्थन किया और भीड़ को समझाया कि किसान नेता बुजुर्ग हैं। वे बहुत परेशान हैं, इसलिए हमें समझना पड़ेगा।
मैंने उस दिन भी यही बात कही थी। मैंने किसान नेताओं से भी कहा था कि जो लोग कह रहे हैं उसके अनुसार सामूहिक फैसला लो वह गलत नहीं होगा, क्योंकि संगत से ही हमारा मोर्चा चल रहा है और हम यहां खड़े हैं। यह बात किसान नेताओं के समझ में नहीं आई। उन्होंने अगले दिन मार्च निकाला जिस रूट पर किसान और पुलिस ने तय किया था उस पर 3000 लोग भी नहीं थे। सिंघु-टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर से लोग खुद ही गलत रूट पर निकल गए और लाल किले की और चल पड़े। उनकी कोई अगुआई नहीं कर रहा था। दीप सिद्धू ने कहा- मैं जब लाल किले पहुंचा तब तक गेट टूट चुका था। उसमें हजारों की भीड़ खड़ी हुई थी। मैं बाद में वहां पहुंचा। जिस रोड से पहुंचा उस पर सैकड़ों ट्रैक्टर पहले से खड़े थे। मैं पैदल ही किले के अंदर पहुंचा था। वहां देखा तो कोई किसान नेता नहीं था। कोई भी वह व्यक्ति नहीं था जो पहले बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था। सोशल मीडिया पर लाइव आकर बड़े-बड़े ऐलान किए थे कि हम दिल्ली की गर्दन पर घुटना रख देंगे, लेकिन वहां पर कोई नहीं था। इसी बीच कुछ नौजवान मुझे पकड़कर ले गए कि भाई वहां चलो। वहां दो झंडे पड़े थे एक किसानी झंडा और दूसरा निशान साहिब। हमने सरकार के सामने रोष जताने के लिए दोनों झंडे वहां लगा दिए। हमने तिरंगा नहीं हटाया था। हमें कोई डर नहीं है, क्योंकि हमने कुछ गलत नहीं किया है। पंजाबी सिंगर ने सफाई देते हुए कहा कि हमने कोई सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया। हमने कोई हिंसा नहीं की। हमारे लोगों पर किसी ने लाठीचार्ज नहीं किया। सब कुछ आराम से हो गया। हम सरकार को दिखाना चाहते थे कि हमारा हक दिया जाए। हमारी मांगों पर गौर किया जाए, क्योंकि पिछले छह महीने से सरकार का जो हमारी ओर रवैया था वह ठीक नहीं था उन्होंने बार-बार हमारी बेइज्जती की। उन्होंने कहा कि उधर निशान साहिब, किसानी झंडा और तिरंगा सब लगे हुए थे।
उन्होंने कहा कि इसके बाद हमारे अपने नेताओं ने मुझे गद्दार करार दे दिया। फिर किस बात का एक्का। हमारे बंदों ने हमें छोड़ दिया। अगर लाखों लोग मेरे कहने पर चल पड़े तो आप किस बात के लीडर, फिर तो सारा कैडर ही मेरा है। एक दिन कहते हो कि दीप सिद्धू की कोई कंट्रीब्यूशन नहीं है, अगले दिन कहते हो कि दीप सिद्धू सारे लोगों को ले गया। आज तक सारे फैसले जब सबने मिलकर लिए हैं तो इस फैसले का गद्दार ठहराया जा रहा है।