26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने सभी किसान नेताओं पर FIR दर्ज कर ली गई। लगभग 100 फिलहाल पुलिस की हिरासत में हैं। उधर किसानों के भी सिर फुट्वल हो गई है। जहां राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है। वहीं नरेश टिकैत ने कहा है कि जो लोग आंदोलन से डरते हैं, वो अपना तंबू उखाड़कर चले गए हैं।
उधर पुलिस ने हिंसा, तोड़फोड़ और नियम तोड़ने की घटनाओं में 25 FIR दर्ज की हैं। इसमें जानलेवा हमले, डकैती, सरकारी काम में रुकावट डालने और नियम तोड़ने जैसी धाराएं लगाई गई हैं। इनमें से एक FIR में सभी 37 किसान नेताओं को आरोपी बनाया गया है। इनमें राकेश टिकैत, मेधा पाटकर, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह भी शामिल हैं। दरअसल ये वो नेता हैं, जो पुलिस से ट्रैक्टर रैली और सरकार से कृषि कानूनों पर बात कर रहे थे। इन्होंने ही ट्रैक्टर रैली की योजना तैयार की थी। इन्हीं लोगों ने उस NOC पर साइन किए थे, जो पुलिस ने ट्रैक्टर रैली के लिए जारी की थी।
नेताओं के अलावा पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू और एक्टिविस्ट लक्खा सिधाना के खिलाफ भी लाल किले की हिंसा में FIR हो गई है। किसान नेताओं ने कहा था कि दीप ने ही प्रदर्शनकारियों को भड़काया था और उन्हें लाल किले की तरफ लेकर गया। दीप पर लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने का भी आरोप है।
इधर हिंसा के बाद राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी है। भारतीय मजदूर किसान संगठन के प्रमुख वीएम सिंह ने कहा कि, ‘दिल्ली में जो हंगामा और हिंसा हुई, उसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को लेनी चाहिए। हम ऐसे किसी शख्स के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते, जिसकी दिशा कुछ और हो।’
इसके बाद भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा, ‘मंगलवार को दिल्ली में जो कुछ भी हुआ, उससे मैं बहुत दुखी हूं और 58 दिनों का हमारा प्रोटेस्ट खत्म कर रहा हूं। भानु प्रताप सिंह का संगठन चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहा था।’ इतना ही नहीं भानु गुट ने तो चिल्ला बॉर्डर से अपने टेंट भी उखाड़ने शुरू कर दिए हैं।