#Covid19:देश में कोरोना के मामले लगातार कम होते जा रहे हैं। ठीक एक साल पहले जहां इस वक्त कोरोना का खौफ लोगों में शुरू हुआ था। वहां अब देश में लोग अब कोरोना को पीछे छोड़ आगे बढ़ने लग गए हैं। कोरोना वैक्सीन आने के बाद भी लोगों को थोड़ा भरोसा बढ़ा है। साथ ही सरकार ने भी सभी गतिविधियों पर से रोक हटा ली है।
पिछले साल देश में पहला कोरोना मरीज़ केरल में मिला था जोकि चीन के वुहान से लौटा था। हालांकि उस समय सोचा जा रहा था सार्स निपाह और बर्ड फ्लू की तरह ये वायरस भी भारत में तेज़ी से नहीं फैलेगा। लेकिन इसके बाद मार्च के शुरू में तो इसने सभी राज्यों में पैर पसारने शुरू कर दिए। मार्च के आखिर सप्ताह में सरकार ने दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन को लागू कर दिया था। इसके बाद राज्यों ने भी इस वायरस को गंभीरता से लेना शुरू किया था। जून जुलाई तक तो रोजाना एक लाख तक कोरोना मरीज़ आने शुरू हो गए थे। जबकि मरने वालों की संख्या भी 15सौ के करीब हो गई थी। लेकिन इसके बाद धीरे धीरे कोरोना मरीज़ों की संख्या में कमी आना शुरू हुई। त्यौहारों के मौसम के बाद कुछ राज्यों ख़ासकर दिल्ली में इसकी एक वेव और देखी गई। लेकिन फिर से धीरे धीरे करके कम होना शुरू हो गया। फिलहाल केरल को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में कोरोना का प्रकोप काफी कम हो गया है। रोजाना अब 12-14 हज़ार के बीच कोरोना मरीज़ आ रहे हैं। एक्टिव केस भी दो लाख से कम हैं। जबकि एक समय ये दस लाख के करीब पहुंच गए थे। एक समय ऐसा लग रहा था कि दुनिया में सबसे ज्य़ादा कोरोना मरीज़ भारत में होंगे। लेकिन अब ये डर धीरे धीरे कम हो रहा है।
फिलहाल देश में वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। इस दौरान भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने अपनी खुद की वैक्सीन विकसित कर ली है। भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन स्वदेशी वैक्सीन है। जिसकी मांग दुनियाभर के देशों से हो रही है। इसी तरह सीरम की कोविशिल्ड का उत्पादन भी भारत में ही हो रहा है। भारत से पहले जहां हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवा की मांग दुनियाभर से हो रही थी। वहीं अब 100 से ज्य़ादा देशों में भारत की वैक्सीन की मांग आ चुकी है।