#BasantPanchmi: आज बसंत पंचमी है और आज के दिन कोई शुभ काम शुरू करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन कोई नई कला या शिक्षा शुरू करने से उसमें अवश्य ही सफलता मिलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन को बहुत ही सादगी के साथ मनाया जाना चाहिए और एक दूसरे का सम्मान किया जाना चाहिए। ख़ासकर प्रकृति का सम्मान करना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि आज के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन पूजा-अर्चना करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है। इस साल बसंत पंचमी के दिन चतुष्ग्रही योग बन रहा है। इस दिन बुध, गुरु, शुक्र व शनि चार ग्रह शनि की राशि मकर में चतुष्ग्रही योग बना रहे हैं। मंगल अपनी स्वराशि मेष में विराजमान रहेंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन रवि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। बसंत पंचमी के पूरे दिन रवि योग रहेगा। जिसके कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। 16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी, जो कि अगले दिन यानी 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी। इस दिन 11.30 से 12.30 के बीच अच्छा मुहूर्त है।
पूरे भारत में बंसत पंचमी पर मां सरस्तवती की पूजा की जाती है। इस दिन लोग पीले वस्त्र पहन कर मां की पूजा करते हैं। आइए आपको बताते हैं कि कैसे करें मां की आराधना..
मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
अब रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें।
अब पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को अर्पित करें।
मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें
विद्यार्थी चाहें तो इस दिन मां सरस्वती के लिए व्रत भी रख सकते हैं।
कथाओं के मुताबिक, सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं। उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। यह देवी थीं मां सरस्वती। मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संस्सार की हर चीज में स्वर आ गया। इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती। यह दिन था बसंत पंचमी का। तब से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा होने लगी।
बसंत पंचमी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं-
बसंत पंचमी के दिन किसी को अपशब्द बोलने से बचना चाहिए।
इस दिन अपशब्दों व झगड़े से भी बचना चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन मांस-मदिरा के सेवन से दूर रहना चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन पितृ तर्पण भी किया जाना चाहिए।
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद जरूरी है।
बसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए।
इस दिन रंग-बिरंगे कपड़े नहीं पहनने चाहिए। संभव हो तो पीले वस्त्र पहनने चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधे नहीं काटने चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन पितृ तर्पण भी किया जाना चाहिए।