#ATaleOfBurn&Blame: दिल्ली में दंगों को एक साल पूरा होने जा रहा है, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के वक्त शुरू हुए इन दंगों में 53 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। सीएए के विरोध में दिल्ली में एक संप्रदाय विशेष के लोग शाहीन बाग में सड़क घेरकर बैठ गए थे। इसके बाद सीलमपुर और मुस्तफाबाद में भी ऐसे प्रदर्शनों की आड़ में रास्ते बंद कर दिए गए थे। इसके विरोध में आम लोगों के खड़े होने के बाद एक समुदाय विशेष ने हिंदुओं पर हमला कर दिया था। काफी लोगों के घरों को जला दिया साथ ही बहुत सारी गाड़ियां भी आग के हवाले कर दी थी। इन दंगों के सच को दिखाने के लिए दिल्ली में डारेक्टर कमलेश मिश्रा ने एक डाक्यूमेंटरी बनाई है। जोकि कल OTT प्लेटफार्म Voot पर रिलीज़ होगी।
कमलेश मिश्रा ने theekhabar.com को बताया कि इस फिल्म के जरिए दंगों में क्या हुआ वो पूरे तरीके से बताने की कोशिश की गई है। फिल्म के रिसर्च और शूटिंग के दौरान पता चला कि दंगों की तैयारियां काफी पहले हो चुकी थी। तेजाब से भरी टंकियां, पेट्रोल बम और बंदुकें तक पहले से ही जमा थी। वो तो बस एक मौके की तलाश में थे कि कब हमला किया जाए। आप अगर फिल्म देखेंगे तो साफ समझ जाएंगे कि उस दौरान क्या हुआ था।
डॉक्यूमेंटरी में पूरी घटनाओं को दोबारा से दिखाया गया है। उन सभी घटनाओं में क्या हुआ कैसे हुआ ये लोगों के बयानों के साथ दिखाया गया है। आईबी अधिकारी अंकित शर्मा को किस तरह से घेरकर ले जाकर मारा गया और फिर उसे नाले में फेक दिया। इस बारे में भी बयान और घटना को बताया गया है। साथ ही दिलबर नेगी के हाथ और पैरों को काटकर कैसे मारा गया। इसकी पूरी कहानी भी इस डाक्यूमेंटरी फिल्म में दिखाई गई है। फिल्म के मुताबिक दंगों की तैयारियां काफी पहले शुरू हो गई थी। स्थानीय आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन ने अपने घर में दंगों के लिए काफी तैयारियां कराई हुई थी।