G:23Meeting: राहुल गांधी के केरल में दिए बयान के बाद कांग्रेस में फिर एक बार कलह मच गई है। राहुल के उत्तर भारत को दिए बयान के बाद ये 23 बड़े नेताओं जम्मू में एक बैठक करने जा रहे हैं। जहां से राहुल पर कोई बयान जारी हो सकता है। कांग्रेस के 23 बड़े नेताओं ने पहले भी पार्टी हाइकमान को चिट्ठी लिखकर पार्टी के भीतर सुधार करने के लिए कहा था।
दरअसल राहुल गांधी अपने हिसाब से चलते हैं। उनके बयान अक्सर पार्टी को भारी पड़ते हैं। इसको लेकर इन नेताओं ने बिगुल बजाया हुआ है। इन नेताओं ने पहले भी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में पार्टी को चलाने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे। इन नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, राज बब्बर, विवेक तन्खा, गुलाम नबी आजाद शामिल हैं। ये सभी नेता शनिवार को एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसमें मनीष तिवारी के भी पहुंचने की संभावना है। ख़ास बात ये है कि सभी नेता उत्तर भारत के हैं। राहुल ने मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में कहा था कि “पहले 15 साल मैं उत्तर भारत से एक सांसद था। मुझे एक अलग प्रकार की राजनीति की आदत थी। मेरे लिए केरल आना बहुत रिफ्रेशिंग था, क्योंकि मुझे अचानक पता चला कि यहां के लोग मुद्दों में रुचि रखते हैं और न केवल सतही रूप से बल्कि मुद्दों के बारे में विस्तार से जानकारी भी रखते हैं”।
पिछले साल अगस्त में इन नेताओं ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी लिखकर पार्टी में तुरंत सुधार करने की मांग की थी। इनमें जमीनी स्तर से लेकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) तक संगठन के चुनाव कराने की मांग की गई थी। आज एक बार फिर ये सभी नेता गांधी परिवार के खिलाफ एक साथ जमा हो रहे हैं। नेताओं का विरोध गांधी परिवार के उन करीबी लोगों से भी है, जो पार्टी संगठन और संसद में अहम पोजिशन पर बैठे हैं।
कांग्रेस के G-23 से जुड़े एक बड़े नेता ने बताया कि, ‘कांग्रेस पार्टी में इस समय जो कुछ चल रहा है, वह पिछले साल दिसंबर में हुई पार्टी की वर्किंग कमेटी के फैसले के उलट है। पार्टी में अब तक कोई चुनाव या सुधार नजर नहीं आए हैं।’ एक अन्य नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘यह राहुल गांधी के लिए सीधा मैसेज है। हम देश को दिखाना चाहते हैं कि उत्तर से दक्षिण तक भारत एक है।’
G-23 से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि नेताओं में हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए गुलाम नबी आजाद के साथ हुए सलूक को लेकर भी नाराजगी है। गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस ने दूसरा मौका नहीं दिया था। ग्रुप से जुड़े एक नेता ने कहा, ‘जब दूसरी पार्टियों के नेता आजाद के लिए सीट छोड़ रहे थे, तब हमारी कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप ने उनके प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया। उनकी जगह रॉबर्ट वाड्रा के केस लड़ने वाले वकील को राज्यसभा भेज दिया गया।