#MannKiBaat: नरेंद्र मोदी को है किस बात का मलाल?

#PMNarendraModi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे बड़ा मलाल इस बात का है कि वो तमिल भाषा नहीं जानते, मन की बात में चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें इस बात का मलाल है कि उन्होंने विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा तमिल नहीं सीखी।

मन की बात कार्यक्रम में श्रोताओं के सवालों के जवाब देते हुए मोदी ने कहा उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों ने मुझे तमिल साहित्य की क्वालिटी और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है लेकिन अफसोस कि मैं इसे सीख नहीं सका।

प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद की अपर्णा के एक सवाल का उल्लेख करते हुए कहा कि कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है। ये सवाल लंबे नहीं होते हैं, बहुत सामान्य होते हैं, फिर भी वे हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले हैदराबाद की अपर्णा जी ने मुझसे एक ऐसा ही सवाल पूछा, कि आप इतने साल पीएम रहे, सीएम रहे, क्या आपको लगता है कि कुछ कमी रह गई है?।

पीएम मोदी ने कहा कि यह सवाल जितना सहज और सरल था उतना ही मुश्किल भी था। मैंने इस पर विचार किया और खुद से कहा कि मेरी एक कमी यह रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से पानी सहेजने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत के ज्यादातर हिस्सों में मई-जून में बारिश शुरू होती है। क्या हम अभी से अपने आसपास के जलस्रोतों की सफाई के लिए, वर्षा जल के संचयन के लिए 100 दिन का कोई अभियान शुरू कर सकते हैं? इसी सोच के साथ जल शक्ति मंत्रालय जल शक्ति अभियान – ‘कैच द रैन’ शुरू करने जा रहा है। इस अभियान का मूल मंत्र है – ‘कैच द रैन, व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन इट फॉल्स।  आत्मनिर्भर भारत के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर होने का अर्थ है कि अपनी किस्मत का फैसला खुद करना, यानि स्वयं अपने भाग्य का निर्माता होना। आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक नेशनल स्पिरिट बन जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसा ही नहीं है कि बड़ी-बड़ी चीजें ही भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगी। भारत में बने कपड़े, भारत के टैलेंटेड कारीगरों द्वारा बनाया गया हैंडीक्राफ्ट का सामान, भारत के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, भारत के मोबाइल, हर क्षेत्र में, हमें इस गौरव को बढ़ाना होगा। जब हम इसी सोच के साथ आगे बढ़ेंगे, तभी सही मायने में आत्मनिर्भर बन पाएंगे। आत्मनिर्भर भारत का मंत्र देश के गांव-गांव में पहुंच रहा है।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *