#FarmerProtest: खालिस्तानी फंड से विदेशों में भारत की छवि को पहुंचाया गया नुकसान

#KhalistanFundInKisanAndolan: दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसान आंदोलन को खालिस्तानियों का समर्थन मिलने का एक ओर सबूत सामने आया है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार की कमिश्नर मिशेल बैशलेट ने 10 हज़ार डॉलर लेकर किसान आंदोलन के पक्ष में बयान दिया था और ये पैसा खालिस्तानी समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने मिशेल को दिया था। ये बात खुद SFJ ने कबूल की है।

दरअसल आंदोलन जब अपने पूरे शबाब पर था तो एकाएक कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया था। जिसमें पर्यावरण कार्यकर्त्ता ग्रेटा थनबर्ग, एक्टर सिंगर रिहाना और UN मानवाधिकार  प्रमुख बैशलेट भी शामिल थी। लेकिन ग्रेटा के गलती से पूरे प्लान (टूलकिट) का भंडा सोशल मीडिया पर फोड़ दिया। उन्होंने पूरी योजना को ही शेयर कर दिया था। इसके बाद से ही भारत को बदनाम करने की पूरी साजिश की परतें उखड़ने लगी। जिस संगठन ने बैशलेट को फंड मुहैया कराने की बात स्वीकार की है। उसी संबंधित संगठनों ने रिहाना को भी 18 करोड़ रुपये बयान देने के बदले दिए थे।

इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री ने भी किसान संगठनों के समर्थन में बयान दिया था। हालांकि बाद में भारत सरकार के विरोध के बाद कनाडा ने इस मामले पर चुप्पी साध ली। बैशलेट ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में कहा था कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान सामाजिक कार्यकर्त्ताओं के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाना सही नहीं है। मिशेल ने ये सब SJF की एक चिट्ठी के आधार पर कहा था। जिसमें लिखा हुआ था कि संयुक्त राष्ट्र को इस मामले में भारत सरकार को कहना चाहिए। इसके बदले SJF ने बैशलेट और संयुक्त राष्ट्र को जरूरी खर्चा देने की बात भी कही थी।

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